विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोटापा ‘महामारी के स्तर’ तक पहुंच गया है. 2035 तक दुनिया की आधी आबादी मोटापे का शिकार हो सकती है. आखिर इसकी वजह क्या है और इसके लक्षण क्या हैं?मोटापा किसी व्यक्ति को लंबे समय तक बीमार बनाए रखता है. दुनिया भर में लाखों लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं और यह एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि यह बीमारी पूरी दुनिया में फैल गई है और महामारी के स्तर तक पहुंच गई है.
मोटापे से जुड़ी बीमारियों और इसके खतरनाक असर की वजह से हर साल पूरी दुनिया में 50 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है. विश्व मोटापा एटलस 2023 के मुताबिक, 2035 तक दुनिया की करीब आधी आबादी, यानी 4 अरब से अधिक लोग मोटापे का शिकार हो सकते हैं.
मोटापा क्या है?
मोटापा एक जटिल बीमारी है जो किसी भी उम्र में हो सकती है. वयस्कों और बच्चों को यह बीमारी समान रूप से प्रभावित करती है. डब्ल्यूएचओ की परिभाषा के मुताबिक, शरीर में अत्यधिक या असामान्य रूप से वसा का जमा होना मोटापा है. इससे स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.
2016 तक, दुनिया भर में 1.9 अरब लोगों का वजन सामान्य से अधिक था. यह वयस्कों की कुल आबादी का 39 फीसदी हिस्सा है. वहीं, 65 करोड़ लोग, यानी 13 फीसदी मोटापे के साथ जी रहे थे. डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल हेल्थ ऑब्जर्वेटरी के मुताबिक, 1980 के बाद से मोटापे से ग्रस्त वयस्कों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है.
बच्चे भी इस बीमारी से अछूते नहीं हैं. 5 वर्ष से कम आयु के करीब 3.8 करोड़ बच्चों का वजन सामान्य से अधिक है, यानी वे मोटापे का शिकार हैं. वहीं, 5 से 19 वर्ष के 34 करोड़ से अधिक बच्चे मोटापे से ग्रसित हैं.
आसान भाषा में कहें, तो कोई व्यक्ति या बच्चा मोटापे का शिकार तब होता है जब वह काफी ज्यादा मात्रा में कैलोरी का सेवन करता है. इस कैलोरी को शरीर वसा में बदल देता है. किसी व्यक्ति द्वारा ली जाने वाली कैलोरी और अलग-अलग शारीरिक क्रिया की वजह से नष्ट होने वाली कैलोरी के बीच असंतुलन होने से मोटापा बढ़ता है.
इसकी कई वजहें हो सकती हैं, जैसे कि व्यायाम न करना या अनियंत्रित जीवनशैली. इसके अलावा, मनोवैज्ञानिक, जैविक या आनुवंशिक कारक भी मोटापे के लिए जिम्मेदार होते हैं.
मोटापे की वजह
दुनिया भर में बड़ी आबादी के बीच ऐसी धारणा है कि खुद पर नियंत्रण न होने की वजह से लोग मोटापे से ग्रसित होते हैं. जबकि यह बात पूरी तरह सही नहीं है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एंडोक्रिनोलॉजी के प्रोफेसर जॉन वास ने द लांसेट को बताया, "हम जानते हैं कि भूख और संतुष्टि विरासत में मिलती है.
आपके वजन का 70 फीसदी हिस्सा आनुवंशिक रूप से निर्धारित होता है. कई ऐसे कारण हैं जिनसे यह साबित होता है कि मोटापा एक लंबे समय तक रहने वाली बीमारी (क्रोनिक डिजीज) है और कोई व्यक्ति इससे बार-बार ग्रसित हो सकता है.”
मोटापे के लिए जिम्मेदार कारकों को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है. पहला है आंतरिक कारक, जैसे कि किसी व्यक्ति की जैविक और आनुवंशिक बनावट. दूसरा है बाहरी कारक, जैसे कि पर्यावरण और सामाजिक परिस्थितियां, यानी कि कोई व्यक्ति किस आय वर्ग का है, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच कैसी है, दिनचर्या कैसी है या कितना व्यायाम करता है.
आनुवंशिकी, व्यायाम न करना, खान-पान से जुड़ी गलत आदतें, मनोवैज्ञानिक समस्याएं, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं, सामाजिक और आर्थिक स्थितियां, दवाएं, प्रदूषण सहित कई अन्य चीजें मोटापे को बढ़ाने का काम करती हैं. कुशिंग रोग, स्टेरॉयड और कुछ एंटीडिप्रेसेंट सहित अन्य दवाएं भी वजन बढ़ाने या मोटापे का कारण बन सकती हैं.
शरीर पर क्या असर होता है
शरीर में अत्यधिक वसा जमा होने और सामान्य से ज्यादा वजन बढ़ने की वजह से शारीरिक काम करने में समस्याएं आने लगती हैं. शरीर के कई हिस्सों में दर्द होने लगता है. यहां तक कि ऑस्टियोआर्थराइटिस (जोड़ों में दर्द) तक हो सकता है. मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों को रात में सोते समय सांस लेने में भी समस्या हो सकती है, जिसे स्लीप एपनिया कहा जाता है.
मोटापे की वजह से टाइप 2 का मधुमेह (डायबिटीज) हो सकता है, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर बढ़ सकता है. दिल का दौरा और स्ट्रोक पड़ सकता है. एंडोमेट्रियल, इसोफेजियल, लीवर, किडनी और मलाशय से जुड़े कैंसर भी हो सकते हैं. मोटापा किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. इसका असर यह होता है कि कोई व्यक्ति अवसाद, चिंता या आत्मसम्मान में कमी जैसे लक्षणों का शिकार हो सकता है.
किसी व्यक्ति के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को माप करके मोटापे का पता लगाया जाता है. अगर किसी व्यक्ति का बीएमआई 30 से ऊपर होता है, तब उसे इलाज की जरूरत होती है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, 25 से ऊपर बीएमआई होने का मतलब है कि व्यक्ति का वजन सामान्य से अधिक है.
मोटापे को कैसे मापा जाता है
बीएमआई का पता लगाने के लिए शरीर के वजन (किलोग्राम) को लंबाई (मीटर) से विभाजित किया जाता है. आप अपने बीएमआई की गणना यूके की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा बीएमआई कैलकुलेटर से कर सकते हैं. हालांकि, बीएमआई को लेकर काफी विवाद भी है. इसमें उम्र, लिंग, शरीर के वजन में कितना प्रतिशत हिस्सा वसा और कितना मांसपेशियों का है, को ध्यान में नहीं रखा जाता.
उदाहरण के लिए, किसी वेटलिफ्टर का बीएमआई 30 से ऊपर हो सकता है, क्योंकि उसके शरीर में वसा के मुकाबले मांसपेशियों का वजन काफी ज्यादा हो सकता है. हालांकि, ऐसे भी उपकरण मौजूद हैं जो वसा की सटीक मात्रा का पता लगा सकते हैं, लेकिन ये व्यापक तौर पर उपलब्ध नहीं हैं.
ब्रिटेन की उल्स्टर यूनिवर्सिटी में एंडोक्रिनोलॉजी के प्रोफेसर एलेक्जेंडर मिरास ने डीडब्ल्यू को बताया, "बॉडी फैट यानी शरीर में मौजूद वसा को मापने का सबसे अच्छा तरीका मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) का इस्तेमाल करना है.” हालांकि, एमआरआई महंगे होते हैं और इनका इस्तेमाल ज्यादातर अनुसंधान के मकसद से शरीर में वसा की मात्रा निर्धारित करने के लिए किया जाता है.
शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में पेट में मौजूद अतिरिक्त वसा स्वास्थ्य के लिहाज से ज्यादा हानिकारक होता है. यही वजह है कि किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की जांच के दौरान चिकित्सक बीएमआई की जगह कमर को मापने की सलाह देते हैं.
मोटापे से बचाव और इसका इलाज
व्यक्तिगत स्तर पर मोटापे को रोकने का सबसे सही तरीका है कि आप संतुलित आहार का सेवन करें, जिसमें चीनी और वसा कम हो. फल, सब्जियां, अनाज और सूखे मेवे ज्यादा हों. डब्ल्यूएचओ एक दिन में करीब 20 मिनट व्यायाम करने की सलाह देता है. हालांकि, व्यक्तिगत स्तर पर किए गए प्रयास तभी सफल हो सकते हैं जब सार्वजनिक नीति और स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर हो.
किंग्स कॉलेज लंदन में मेटाबोलिक और बेरिएट्रिक सर्जरी के अध्यक्ष फ्रांसेस्को रुबिनो ने द लांसेट को बताया, "कारण कुछ भी हो, किसी व्यक्ति को उसके मोटापे के लिए काफी हद तक उसे ही जिम्मेदार ठहराया जाता है और कहा जाता है कि इसे कम करने की जिम्मेदारी भी उसी की है. ऐसा कहने वालों में डॉक्टर भी शामिल हैं.”
मोटापा लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है, इसलिए डॉक्टरों को दीर्घकालीन उपचार उपलब्ध कराना चाहिए. इसमें जीवन शैली से जुड़े बदलाव शामिल हो सकते हैं, जैसे कि खान-पान की आदतों में सुधार करना, संतुलित आहार का सेवन करना, चलने-फिरने के तरीके को बदलना, शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाना वगैरह.
पहली बार में काफी ज्यादा वजन कम नहीं करना चाहिए. अध्ययनों से पता चलता है कि शरीर के वजन में 10 फीसदी कमी होने से भी मोटापे की वजह से होने वाली समस्याएं कम हो सकती हैं. अगर महज 6 महीने तक बेहतर तरीके से इलाज किया जाए, तो इतना वजन आसानी से कम किया जा सकता है. इसके बाद, ज्यादा वजन घटाने के उपायों पर डॉक्टरों से चर्चा करनी चाहिए.
दवाएं और सर्जरी
अगर संतुलित भोजन और पर्याप्त व्यायाम से भी राहत नहीं मिलता है, तो अमेरिका में मोटापे के उपचार के लिए कुछ दवाओं के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है, लेकिन इनके कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं.
हाल ही में अमेरिका में वजन घटाने के इलाज के लिए सेमाग्लूटाइड इंजेक्शन के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है. यूके में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (एनआईसीई) ने भी इसकी अनुमति दी है. इस इंजेक्शन को ओजेम्पिक, वेगोवी या रिबेल्सस ब्रांड के तहत बेचा जाता है.
संतुलित आहार और पर्याप्त व्यायाम के साथ इस इंजेक्शन को लेने पर 10 फीसदी से अधिक वजन कम हो सकता है. इस इंजेक्शन को सप्ताह में एक बार लेना होता है. इससे मतली, उल्टी, दस्त और कब्ज जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं. दरअसल, सेमाग्लूटाइड भोजन के बाद निकलने वाले GLP-1 हार्मोन की नकल करके भूख को कम करता है.
गंभीर मोटापे वाले लोग, आमतौर पर 40 से अधिक बीएमआई वालों के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी जैसे गैस्ट्रिक बाईपास भी एक उपाय है. चूंकि, हर किसी व्यक्ति के लक्षण अलग-अलग होते हैं, इसलिए इस मसले पर डॉक्टरों की राय काफी ज्यादा मायने रखती है.