Nepal Protest On Social Media Ban: प्रधानमंत्री ओली ने दिए जांच के आदेश, सोशल मीडिया बंद करने की नीति से इनकार

काठमांडू, 9 सितंबर : नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर जारी प्रतिबंध के खिलाफ जेन-जेड के नेतृत्व वाले प्रदर्शन के दौरान काठमांडू और अन्य शहरों में हुए हिंसा में कम से कम 19 लोगों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया. देश के युवा (Gen-Z) की ओर से आयोजित प्रदर्शन तब हिंसक हो गए, जब कुछ अज्ञात समूहों ने कथित तौर पर घुसपैठ की, जिससे तोड़फोड़, आगजनी और सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुईं.

प्रधानमंत्री ओली ने इस घटना और हिंसा की वजहों की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति गठित करने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि मुझे बहुत दुख है कि आज के प्रदर्शन में लोगों की जान गई. मैं उन परिवारों और रिश्तेदारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को इस दुखद घटना में खोया. पीएम ओली ने स्पष्ट किया कि सरकार का सोशल मीडिया बंद करने का कोई इरादा नहीं था. उन्होंने कहा कि सरकार ने सोशल मीडिया बंद करने की कोई नीति नहीं अपनाई है और न ही भविष्य में ऐसा करेगी. यह भी पढ़ें : Nepal Social Media Ban Protest: सोशल मीडिया से वापस लिया बैन, नेपाल सरकार ने गठित की जांच समिति, 15 दिनों में मांगी रिपोर्ट

प्रधानमंत्री ने बताया कि कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को हाल ही में बंद किया गया था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल में इन प्लेटफॉर्म्स को रजिस्टर करने का आदेश दिया था. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन में कई स्वार्थी तत्वों ने घुसपैठ की, जिसके कारण हिंसा हुई. प्रदर्शन के आयोजकों ने इसे सफल घोषित कर लोगों से घर लौटने को कहा था, लेकिन घुसपैठियों ने तोड़फोड़ और आगजनी की.

हिंसा के बाद, देर रात हुई कैबिनेट बैठक में एक जांच समिति बनाने का फैसला लिया गया. एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि यह समिति 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी.हालांकि, कई लोग उम्मीद कर रहे थे कि कैबिनेट सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को हटा देगी, लेकिन प्रधानमंत्री ओली के विरोध के कारण ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ. फिर भी, देर रात फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स बिना किसी सरकारी घोषणा के फिर से काम करने लगे. इससे पहले, सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने बढ़ते जन असंतोष का हवाला देते हुए सरकार से प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया था. सरकार ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा और घायलों के मुफ्त इलाज का वादा किया है, साथ ही आगामी जांच के जरिए जवाबदेही सुनिश्चित करने का वादा भी किया है.