नासा के बजट में कटौती: चांद की जगह अब मंगल पर अमेरिका का ध्यान
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमेरिका की महत्वाकांक्षा अब मंगल ग्रह पर जाने की है. इसलिए, उसने अपनी अंतरिक्ष एजेंसी के बजट में कटौती कर दी है. हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है?रिपब्लिकन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली अमेरिकी सरकार ने नासा के बजट में अरबों डॉलर की कटौती का प्रस्ताव रखा है. इससे प्रमुख साझेदारियां खतरे में पड़ गई हैं और अंतरिक्ष एजेंसी की प्राथमिकताएं अब चंद्रमा से बदलकर मंगल ग्रह पर केंद्रित हो गई हैं.

इन कटौतियों पर प्रतिक्रिया देते हुए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के महानिदेशक योसेफ आशबाखर ने ‘अंतरिक्ष गतिविधियों में सहयोग के महत्व' पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि ईएसए आगामी वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्तावित नासा के बजट के असर का आकलन करेगा, जिसे 2 मई को जारी किया गया क्योंकि बदलावों की वजह से क्या ‘असर' पड़ेगा, इसे लेकर सवाल अभी भी बने हुए हैं.

नासा के लिए सरकार के बजट के प्रस्ताव में आर्टेमिस मून प्रोग्राम में कटौती शामिल है. जैसे-जैसे अमेरिका की महत्वाकांक्षा मंगल ग्रह पर जाने की हो रही है, उसकी राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के बजट में कटौती से यूरोपीय शोधकर्ताओं का काम भी प्रभावित होगा. यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग वाला काम है, जिसमें यूरोप एक तकनीकी और वैज्ञानिक भागीदार है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अगर मई के आखिर या जून की शुरुआत में ज्यादा जानकारी के साथ इसकी पुष्टि हो जाती है, तो इस प्रस्ताव से नासा के बजट में लगभग 6 अरब डॉलर की कटौती हो सकती है. इससे "स्पेसएक्स के सीईओ इलॉन मस्क की मंगल ग्रह पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की योजना को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा.”

हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि अमेरिकी संसद यानी कांग्रेस इस प्रस्ताव को मंजूरी दे. यह प्रस्तावित कटौती, मार्च में की गई पिछली कटौती के बाद की गई, जिसके कारण नासा के तीन कार्यालय बंद हो गए. उसके मुख्य वैज्ञानिक और मुख्य प्रौद्योगिकीविद् के पद खत्म कर दिए गए.

यह कटौती, नासा की ओर से 29 अप्रैल को जारी एक प्रेस रिलीज के बाद हो रही है. इसमें नासा की तारीफ की गई थी और कहा गया था कि ‘ट्रंप सरकार के पहले 100 दिनों में नासा ने नई ऊंचाई हासिल की.' उसने अपनी ‘उपलब्धियों की लंबी सूची' जारी की थी. जैसे, इंसानों को चांद और मंगल पर भेजने की दिशा में प्रगति, जबकि उस समय एजेंसी के बजट को लेकर चल रही अनिश्चितता जारी थी.

पूरी एजेंसी में दांव पर लगे हैं अरबों रुपये

प्रस्तावित बजट के तहत, नासा के मौजूदा बजट 24.8 अरब डॉलर में 24 फीसदी की कटौती की जा सकती है. इससे संभवतः प्रमुख विज्ञान परियोजनाओं और दुनिया भर के हजारों शोधकर्ताओं के काम पर असर पड़ सकता है.

रॉयटर्स के मुताबिक, इन कटौतियों से नासा का मानव अन्वेषण विभाग (इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने वाला विभाग) अछूता रहेगा. दरअसल, रिपब्लिकन सरकार ने ‘मंगल केंद्रित कार्यक्रमों' के लिए 1 अरब डॉलर की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है.

मंगल से पत्थर, मिट्टी वापस लाने के लिए सस्ते विकल्प की तलाश में नासा

इससे पता चलता है कि नासा की प्राथमिकताएं अब चांद से बदलकर मंगल ग्रह पर केंद्रित हो जाएंगी. ट्रंप के पहले कार्यकाल में इस पर जोर दिया गया था, जिसे अब इलॉन मस्क आगे बढ़ा रहे हैं.

नासा के स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) प्रोग्राम में बहुत ज्यादा खर्च हो रहा है और ओरायन अंतरिक्ष यान का क्रू कैप्सूल 2027 तक बंद कर दिया जाएगा.

इसके बजाय, स्पेसएक्स का स्टारशिप रॉकेट प्रोग्राम लंबे समय में एसएलएस और ओरायन दोनों की जगह ले सकता है, क्योंकि इसने मार्च 2025 में नासा से 2032 तक लॉन्च सेवाओं का एक अनुबंध हासिल कर लिया है.

चंद्रमा से होकर ही मंगल पर पहुंचेंगे

2 मई को अपनी सार्वजनिक घोषणा में, व्हाइट हाउस ने कहा कि इस बजट में ‘चीन को चांद पर पीछे छोड़ने और मंगल ग्रह पर पहले इंसान को भेजने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.'

यह नासा के 29 अप्रैल के प्रेस रिलीज जैसा ही था, जिसमें कहा गया था कि वह ‘अमेरिका फर्स्ट' के एजेंडे को लागू कर रहा है और ‘यह सुनिश्चित कर रहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका इस महत्वपूर्ण मोड़ पर अंतरिक्ष की दौड़ जीते.'

इसमें कहा गया है, "चांद पर खोज के लिए 7 अरब डॉलर से ज्यादा आवंटित करके और मंगल ग्रह पर केंद्रित कार्यक्रमों के लिए 1 अरब डॉलर का नया निवेश करके, यह पक्का किया गया है कि अमेरिका इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की जो कोशिश कर रहा है वह सबसे अच्छा और नया हो. साथ ही, इन कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से जारी रखा जा सके.”

इसमें यह भी कहा गया है कि वह नासा के कर्मचारियों और आईटी सेवाओं, नासा केंद्र के संचालन, इमारतों की देखभाल, उनके निर्माण और पर्यावरण अनुपालन गतिविधियों में कटौती करके अपने लक्ष्यों को हासिल करेगा. मौसम और पर्यावरण पर ध्यान देने वाले दूसरे काम भी बंद कर दिए जाएंगे.

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