इतिहास में पहली बार आइसलैंड में पाए गए मच्छर, अब धरती पर सिर्फ एक जगह बची है इनसे महफूज
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इतिहास में पहली बार आइसलैंड में मच्छर पाए गए हैं. आइसलैंड, जो अब तक अपनी साफ हवा और मच्छरों से पूरी तरह सुरक्षित होने के लिए जाना जाता था, अब उस लिस्ट से बाहर हो गया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सब जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से हो रहा है.

कैसे और कहाँ मिले ये मच्छर.

अक्टूबर 2025 में, आइसलैंड के क्जोस (Kjos) इलाके की एक घाटी में तीन मच्छर पकड़े गए. यह Culiseta annulata नाम की प्रजाति के मच्छर हैं, जो आमतौर पर ठंडे मौसम को बर्दाश्त कर लेते हैं.

इन्हें सबसे पहले ब्योर्न हजाल्टासन नाम के एक व्यक्ति ने देखा. बाद में, जब इन मच्छरों की जांच आइसलैंडिक इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के वैज्ञानिकों ने की, तो उन्होंने पुष्टि की कि ये वाकई मच्छर ही हैं.

क्लाइमेट चेंज है बड़ी वजह

ऐसा नहीं है कि आइसलैंड में पहले कभी मच्छर नहीं दिखे. कई बार हवाई जहाज़ों के ज़रिए मच्छर वहाँ पहुँच जाते थे, लेकिन वे वहां के ठंडे माहौल में ज़िंदा नहीं रह पाते थे. यह इतिहास में पहली बार हुआ है कि मच्छर आइसलैंड की ज़मीन पर खुले में रहते हुए पाए गए हैं.

वैज्ञानिक काफी समय से यह चेतावनी दे रहे थे कि जैसे-जैसे धरती गर्म हो रही है, मच्छर और दूसरे कीड़े ठंडे इलाकों की तरफ बढ़ना शुरू कर देंगे. 2015 में भी ऐसा ही हुआ था, जब आइसलैंड में काटने वाली मक्खियां (Biting Midges) बस गई थीं. यह खोज बताती है कि क्लाइमेट चेंज का असर अब ज़मीनी हकीकत बन चुका है.

अब सिर्फ अंटार्कटिका ही बचा है

आइसलैंड में मच्छर मिलने के बाद, अब दुनिया में सिर्फ एक ही महाद्वीप (Continent) बचा है जहाँ मच्छर बिल्कुल नहीं हैं. और वो है अंटार्कटिका (Antarctica).

अंटार्कटिका में इतनी ज़्यादा ठंड है और वहां पानी हमेशा बर्फ बना रहता है. मच्छरों को पनपने के लिए रुके हुए पानी (Standing Water) की ज़रूरत होती है, जो अंटार्कटिका में मिलना नामुमकिन है. आइसलैंड का मौसम तो बदल रहा है, लेकिन अंटार्कटिका अभी भी इतना ठंडा है कि मच्छर वहाँ ज़िंदा नहीं रह सकते.