यूरोपीय संघ में मेटा पर 1.2 अरब यूरो का जुर्माना
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

यूरोपीय संघ की नियमाक एजेंसियों ने फेसबुक की मालिक कंपनी मेटा पर रिकॉर्ड 1.2 अरब यूरो का जुर्माना लगाया है. मेटा को डेडलाइन के साथ सख्त चेतावनी भी दी गई है.यूरोपीय संघ की अदालत के फैसले के बावजूद मेटा ने यूरोप के यूजरों का डाटा अमेरिका के साथ शेयर किया. आइरिश डाटा प्रोटेक्शन कमीशन (डीपीसी) यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि के रूप में काम करता है. डीपीसी, 2020 से मेटा के डाटा ट्रांसफर की जांच कर रहा था. जांच में पता चला कि फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा ने यूरोपीय संघ से डाटा अटलांटिक महासागर पार अमेरिका भेजा.

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यूरोपियन यूनियन के कोर्ट ऑफ जस्टिस (सीजेईयू) के फैसले के बावजूद यह डाटा ट्रांसफर हुआ. जांच के नतीजों की जानकारी देते हुए यूरोपीय डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड (ईडीपीबी) की प्रमुख आंद्रेया जेलिनेक ने कहा, मेटा "मूल अधिकारों और डाटा सब्जेक्ट्स की आजादी के सामने मौजूद जोखिमों को समझने में नाकाम हुयी."

सबसे बड़ा जुर्माना

जांच के बाद ईयू के जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन के तहत मेटा पर 1.2 अरब यूरो (1.3 अरब डॉलर) का जुर्माना लगाया गया है. यह यूरोपीय संघ के भीतर किसी टेक कंपनी पर लगाया गया सबसे बड़ा जुर्माना है. जुर्माने के साथ ही मेटा को आदेश दिया गया है कि वह यूजरों का डाटा अटलांटिक पार भेजना बंद करे. इसके लिए अक्टूबर 2023 तक का समय दिया गया है.

जुर्माने की रकम को एक स्पष्ट संकेत बतात हुए जेलिनेक ने कहा, "अभूतपूर्व जुर्माना उन संस्थानों को एक कड़ा संकेत है जिनकी गंभीर छेड़खानी के दूरगामी नतीजे होते हैं."

इससे पहले यूरोपीय संघ के भीतर 2021 में एमेजॉन पर भी इसी तरह 74.6 करोड़ यूरो का जुर्माना ठोका गया था.

एक नहीं कई बार किया नियमों का उल्लंघन

ईडीपीबी की चेयरपर्सन जेलिनेक के मुताबिक, मेटा का उल्लंघन "बहुत ही गंभीर है क्योंकि ये चरणबद्ध, बार बार और लगातार हो रहे ट्रांसफर से जुड़ा है."

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जेलिनेक ने कहा कि, "यूरोप में फेसबुक के करोड़ों यूजर हैं, इसीलिए पर्सनल डाटा के ट्रांसफर का दायरा भी बहुत ही बड़ा है."

कितना अहम है फेसबुक का डाटा

डाटा प्राइवेसी को लेकर यूरोपीय संघ और फेसबुक की तनातनी पुरानी है. फेसबुक पर आरोप है कि वह यूजरों का डाटा एंग्लो-अमेरिकन इंटेलिजेंस एजेंसियों के साथ शेयर करती है और इसकी मदद से बड़े पैमाने पर लोगों की निगरानी की जाती है.

ऑस्ट्रिया के डाटा प्राइवेसी कार्यकर्ता माक्स श्रेम्स ने एक दशक पहले, यूरोपीय संघ में फेसबुक के खिलाफ पहली कानूनी चुनौती पेश की. अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (एनएसए) के कॉन्ट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडन के खुलासे के बाद 2013 में यह कानूनी लड़ाई शुरू हुई.

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ईयू रेगुलेटर्स के इस फैसले पर खुशी जताते हुए श्रेम्स ने कहा कि "10 की कानूनी लड़ाई के बाद यह निर्णय देखना प्रसन्न करता है."

मार्क जकरबर्ग की कंपनी मेटा का कहना है कि वह यूरोपीय नियामक एजेंसियों के फैसले के खिलाफ अपील करेगी. मेटा ने जुर्माने को "अनुचित और गैरजरूरी" करार देते हुए कोर्ट से इस पर रोक लगवाने की इच्छा जतायी है.

ओएसजे/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)