तालिबान ने कहा- अमेरिका के साथ बातचीत बहाल करने के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी

तालिबान ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के साथ सीधी वार्ता बहाल करने के बारे में कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी. तालिबान का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस टिप्पणी के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करने के लिये वार्ता को वापस पटरी पर लाने का सुझाव दिया है. ट्रंप ने अफगानिस्तान की अचानक की गई यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की.

तालिबान (Photo Credits: IANS)

तालिबान ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के साथ सीधी वार्ता बहाल करने के बारे में कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी. तालिबान का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस टिप्पणी के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करने के लिये वार्ता को वापस पटरी पर लाने का सुझाव दिया है. ट्रंप ने अफगानिस्तान की अचानक की गई यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की.

हालांकि, तालिबान के आधिकारिक प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक व्हाट्सऐप संदेश में समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, ‘‘वार्ता बहाल होने के बारे में कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी. हम बाद में अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया देंगे.’’ ट्रंप ने बृहस्पतिवार को कहा था कि तालिबान एक सौदेबाजी करना चाहता है.

यह भी पढ़ें: भारत ने अफगान में तालिबान के साथ अमेरिका के शांति प्रयासों को लेकर किया आगाह, कहा- निर्वाचित प्रतिनिधि ही अफगानिस्तान शांति समझौते का करें नेतृत्व

उन्होंने राजधानी काबुल से बाहर स्थित बगराम एयरफील्ड की अपनी अघोषित यात्रा के दौरान संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम उनके साथ बैठक कर रहे हैं और हम कह रहे हैं कि उसे युद्धविराम करना होगा.’’ वह सैनिकों के साथ ‘धन्यवाद ज्ञापन छुटि्टयां’ मनाने आये थे. आतंकवादियों के साथ वार्ता बंद करने के उनके सितंबर के फैसले के बाद उनके इस बयान से वार्ता बहाल होने की दिशा में कुछ प्रगति होती नजर आई.

इस वार्ता से तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच प्रत्यक्ष संपर्क का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद थी. लेकिन ट्रंप ने साल भर चली इस कोशिश को समाप्त करार दिया और एक अमेरिकी सैनिक के मारे जाने के चलते बैठक के लिए आतंकवादियों को दिया न्योता वापस ले लिया.

वाशिंगटन और तालिबान, दोनों ने वार्ता बहाल करने के दरवाजे खुले रखे हैं. हालांकि, कूटनीतिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि युद्ध के 18 साल बाद अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लक्ष्य को हासिल करने के लिये राजनीतिक समाधान ही एकमात्र रास्ता है.

Share Now

\