
जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स का कहना है कि गाजा में इस्राएल की कार्रवाई को "हमास के आतंकवाद के खिलाफ जंग के तौर पर उचित नहीं ठहराया जा सकता." इस्राएल ने गाजा में हमले तेज किए हैं, जिनमें हर दिन लोगों की मौत हो रही है.बर्लिन की एक कांफ्रेंस में मैर्त्स ने कहा कि इस्राएल पर प्रतिक्रिया देने में जर्मनी को किसी और देश की तुलना में ज्यादा संयम रखना पड़ता है. मैर्त्स का कहना है, "हालांक, अगर सीमा पार की गई, जहां अंतरराष्ट्रीय मानवता कानूनों का उल्लंघन होता है, तो जर्मन चांसलर को भी इस पर जरूर कुछ कहना होगा."
जर्मनी और इस्राएल के करीबी संबंधों पर जोर देते हुए मैर्त्स ने कहा, "इस्राएली सरकार को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिसे उसका बेहतरीन दोस्त स्वीकार करने के लिए तैयार ना हो."
इस्राएल ने गाजा में बीते हफ्तों से हमले बढ़ा दिए हैं. जंग से बदहाल इलाके में हर दिन इन हमलों की वजह से दर्जनों मौत लोगों की हो रही हैं. इस्राएली हमलों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हो रही है. यह चेतावनी भी दी जा रही है कि गाजा के करीब 20 लाख लोग भुखमरी की आशंका में जी रहे हैं क्योंकि इस्राएल ने राहत सामग्री की सप्लाई पर घेरा डाल दिया है.
सरकार या प्रधानमंत्री की आलोचना कर सकता है जर्मनी
चांसलर की प्रतिक्रिया विदेश नीति के विशेषज्ञ आर्मिन लाशेट के एक बयान के बाद आई है. लाशेट ने जर्मनी के एक टीवी चैनल से कहा कि इस्राएल के सहयोगी देशों के संयुक्त बयान का फलस्तीनी लोगों की जिंदगी बचाने में कोई असर नहीं हुआ है. पिछले हफ्ते ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा ने संयुक्त बयान जारी कर गाजा में इस्राएल की सैन्य कार्रवाई को "अनुपयुक्त" कहा था. लाशेट का कहना है कि गाजा में मानवीय सहायता का पहुंचना सुनिश्चित करने में इस बयान से कोई फर्क नहीं पड़ा.
लाशेट जर्मन संसद के निचले सदन में विदेश मामलों की समिति के प्रमुख हैं. उनका कहा है कि जर्मनी की नई सरकार की इस्राएल के लिए "खामोश कूटनीति" और "स्पष्ट शब्द" बार-बार के प्रस्तावों और नारों से ज्यादा कारगर हैं.
यूरोपीय संघ के दूसरे देशों की तुलना में जर्मनी ने इस्राएल की आलोचना करने में ज्यादा सावधानी बरती है. गाजा में इस्राएल की कार्रवाई 7 अक्टूबर 2023 को हमास के चरमपंथियों के हमले के बाद शुरू हुई है. होलोकॉस्ट की ऐतिहासिक जिम्मेदारी की वजह से इस्राएल की सुरक्षा को वह "राज्य की सर्वोच्च नीति" के तौर पर देखता है. हालांकि लाशेट का कहना है कि इसका मतलब यह नहीं कि "आप इस्राएल की आलोचना नहीं कर सकते, सहायता पहुंचाने की मांग नहीं कर सकते, आप प्रधानमंत्री की आलोचना नहीं कर सकते." लाशेट का कहना है, "आप यह सब कह सकते हैं." लाशेट का कहना है, "आप यह भी कह सकते हैं कि सरकार में दक्षिणपंथी चरमपंथी मंत्री हैं, आप यह भी कह सकते हैं कि युद्ध का लक्ष्य गलत है."
इस्राएली सरकार और इस्राएल अलग
जर्मन सरकार के एंटी सेमिटिज्म आयुक्त फेलिक्स क्लाइन ने भी सोमवार को इसी तरह के विचार रखे. आरबीबी रेडियो स्टेशन से बातचीत में उन्होंने कहा, "हमें निश्चित तौर पर इस्राएली सरकार और पूरे इस्राएल की कार्रवाई में अंतर करके देखना चाहिए. इनमें बड़ा फर्क है." हालांकि उन्होंने जर्मन संसद में मध्य वामपंथी सांसदों की इस मांग को खारिज किया कि जर्मनी इस्राएल को हथियार का निर्यात बंद कर दे.
जर्मन विदेश मंत्री योहान वाडेफुल भी स्पेन के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया जिसमें इस्राएल पर हथियारों के लिए इम्बार्गो लगाने की बात थी. स्पेमें हाल ही इस मसले पर यूरोपीय और अरबी देशों की बैठक भी हुई है. सोमवार को ही जर्मनी के वित्त मंत्री लार्स क्लिंगबाइल ने कहा कि जर्मनी इस्राएल पर राजनीतिक दबाव बढ़ाने की योजना बना रहा है. क्लिंगबाइल ने कहा, "गठबंधन में इस बात पर सहमति बनी है कि हम यह करेंगे और यह करना सही होगा."
क्लिंगबाइल का यह भी कहना है, "संघीय गणराज्य जर्मनी के रूप में हमें अपने दोस्तों के बीच यह साफ कर देना चाहिए कि इस्राएल के प्रति जो हमारी ऐतिहासिक जिम्मेदारी के बावजूद क्या है जो स्वीकार नहीं किया जा सकता." क्लिंगबाइल का कहना है कि वह समय आ गया है, आगे के कदमों पर सरकार में संयुक्त रूप से चर्चा की जाएगी.