आर्थिक मोर्चे पर फिर झटका! भारत के जीडीपी ग्रोथ में IMF ने की भारी कटौती, महज 4.8 फीसदी रहने का अनुमान
International Monetary Fund. (Photo Credit: Getty)

दावोस. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने सोमवार को भारत सहित वैश्विक आर्थिक वृद्धि परिदृश्य के अपने अनुमान को कम किया है। इस वैश्विक संगठन ने इसके साथ ही व्यापार व्यवस्था में सुधार के बुनियादी मुद्दों को भी उठाया है. उसने भारत समेत कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अचंभे में डालने वाली नकारात्मक बातों का हवाला देते हुए कहा कि 2019 में वृश्विक आर्थिक वृद्धि की दर 2.9 प्रतिशत रह सकती है. विश्व आर्थिक मंच के सालाना शिखर सम्मेलन के उद्घाटन से पहले ताजा विश्व आर्थिक परिदृश्य पर जानकारी देते हुए मुद्राकोष ने भारत के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 2019 के लिये कम कर 4.8 प्रतिशत किया है. आईएमएफ के ताजा अनुमान के अनुसार 2019 में वैश्विक वृद्धि दर 2.9 प्रतिशत रहेगी. जबकि 2020 में इसमें थोड़ा सुधार आयेगा और यह 3.3 प्रतिशत पर पहुंच जायेगी. उसके बाद 2021 में 3.4 प्रतिशत रहेगी। इससे पहले आईएमएफ ने पिछले साल अक्टूबर में वैश्विक वृद्धि का अनुमान जारी किया था. उसके मुकाबले 2019 और 2020 के लिये उसके ताजा अनुमान में 0.1 प्रतिशत कमी आई है जबकि 2021 के वृद्धि अनुमान में 0.2 प्रतिशत अंक की कमी आई है.

मुद्राकोष ने कहा, ‘‘आर्थिक वृद्धि के अनुमान में जो कमी की गयी है, वह कुछ उभरते बाजारों में खासकर भारत में आर्थिक गतिविधियों को लेकर अचंभित करने वाली नकारात्मक बातें हैं। इसके कारण अगले दो साल के लिये वृद्धि संभावनाओं का फिर से आकलन किया गया. कुछ मामलों में यह आकलन सामाजिक असंतोष के प्रभाव को भी प्रतिबिंबित करता है.’’भारत में जन्मीं आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी तथा ग्रामीण क्षेत्र की आय में कमजोर वृद्धि के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान कम हुआ है.मुद्राकोष के अनुसार 2019-20 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रहेगी.

आईएमएफ के अनुसार मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहनों के साथ-साथ तेल के दाम में नरमी से 2020 और 2021 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर सुधरकर क्रमश: 5.8 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत रहेगी. हालांकि मुद्राकोष के अक्टूबर में जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य के पूर्व अनुमान के मुकाबले यह आंकड़ा क्रमश: 1.2 प्रतिशत और 0.9 प्रतिशत कम है. यहां 2019 से आशय वित्त वर्ष 2019-20 से है. गोपीनाथ ने यह भी कहा कि 2020 में वैश्विक वृद्धि में तेजी फिलहाल काफी अनिश्चित बनी हुई है। यह अर्जेन्टीना, ईरान और तुर्की जैसी दबाव वाली अर्थव्यवस्थाओं के वृद्धि परिणाम और ब्राजील, भारत और मेक्सिको जैसी उभरती और क्षमता से कम प्रदर्शन कर रही विकासशील देशों की स्थिति पर निर्भर है. यह भी पढ़े-आर्थिक मोर्चे पर फिर झटका! वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान

उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही। यह छह साल में सबसे कम रही है। इसका कारण विनिर्माण और उपभोक्ता मांग में नरमी के साथ निजी निवेश कमजोर रहना है.आईएमएफ ने सकारात्मक पहलू का जिक्र करते हुए कहा कि विनिर्माण गतिविधियों में सुधार के अस्थायी संकेत तथा वैश्विक व्यापार के नीचे से ऊपर आने से बाजार धारणा मजबूत हुई है. इसके अलावा मौद्रिक नीति का नरम रुख, अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता को लेकर सकारात्मक खबरें और ब्रेक्जिट समझौते के आगे बढ़ने से जोखिम कम हुआ है. मुद्राकोष के अनुसार, ‘‘हालांकि, वैश्विक वृहत आर्थिक आंकड़ों में बदलाव को लेकर कुछ संकेत अभी देखे जाने बाकी है.’’

आईएमएफ के अनुसार चीन की वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत, 2020 में 6.0 प्रतिशत और 2020 में 5.8 प्रतिशत रह सकती है. हालांकि, अमेरिका-चीन आर्थिक संबंधों को लेकर मसला बना रहने का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. इसके अलावा घरेलू वित्तीय नियामकीय प्रणाली को भी मजबूत करने की जरूरत है.

मुद्राकोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा कि वास्तविकता यह है कि वैश्विक वृद्धि नरम बनी हुई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि नरम मौद्रिक नीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद मिली है. वैश्विक वृद्धि में इसका मोटे तौर पर योगदान 0.5 प्रतिशत रहा. उन्होंने कहा कि वैश्विक वृद्धि में नरमी बढ़ती है तो और व्यापक समाधान की जरूरत होगी. उन्होंने समन्वित सहयोग का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘समन्वित राजकोषीय उपायों से वृद्धि को गति मिल सकती है.’’संवाददाता सम्मेलन में गोपीनाथ ने कहा कि कर चोरी रोकने के वास्ते डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिये अंतरराष्ट्रीय कराधान व्यवस्था की जरूरत है.