मदद की उम्मीद में चीन पहुंचे इमरान खान ने शी जिनपिंग की तारीफ में पढ़े कसीदे, मिल सकता है नया कर्ज
इमरान खान और शी जिनपिंग (Photo Credit: Twitter)

बीजिंग: मदद की उम्मीद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी पहली चीन यात्रा पर है. द्विपक्षीय वार्ता के दौरान इमरान खान ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जमकर तारीफ की. दरअसल उनकी इस यात्रा से पाई-पाई के लिए तरस रहे पाकिस्तान को आर्थिक सहायता मिलने की उम्मीद है. साथ ही दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में कई समझौतों पर भी सहमती बन सकती है.

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक इमरान खान और शी जिनपिंग के बीच एक उच्चस्तरीय मीटिंग हुई. इस दौरान इमरान ने चीन की तारीफ में खूब कसीदे पढ़े. उन्होंने चीन की प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रपति जिनपिंग की सोच और नेतृत्व शिक्षात्मक हैं. चीन की असाधारण उपलब्धियां प्रशंसा करने योग्य हैं. इमरान ने आगे कहा कि वह चीन सीखने के लिए आए है.

इस दौरान इमरान ने कहा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की भी तारीफ की. उन्होंने कहा "मेरी पार्टी केवल दो महीने से पाकिस्तान कि सत्ता में आई है. लेकिन दुर्भाग्य से हमें एक बहुत ही मुश्किल आर्थिक स्थिति मिली है.”

“दुर्भाग्यवश, हमारा देश इस समय निचले स्तर से गुजर रहा है. पाकिस्तान राजकोषीय घाटा और चालू खाता घाटा से जूझ रहा है. इसलिए मैं चीन सीखने आया हूँ."

गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी पहली चीन यात्रा पर शुक्रवार को चीन पहुंचे. हाल के वर्षों में इसे किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की सबसे महत्वपूर्ण चीन यात्रा माना जा रहा है. पुराने मित्रों के बीच सीपीईसी को लेकर जारी मतभेद को पाटने और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से कड़े शर्तों वाले बेलआउट पैकेज से बचने को लेकर चर्चा होगी.

खान पांच नवंबर को शंघाई में आयोजित चीन के अंतरराष्ट्रीय आयात एक्सपो में भी जाएंगे. पाकिस्तानी मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, प्रधानमंत्री खान के साथ विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, वित्त मंत्री असद उमर, वाणिज्य एवं व्यापार मामलों के सलाहकार अब्दुल रज्जाक दाऊद, रेल मंत्री शेख रशीद और अन्य भी यात्रा पर आए हैं.

खान की यात्रा ने यहां काफी दिलचस्पी पैदा की है, क्योंकि यह ऐसे समय हो रही है जब वह अतीत में 50 अरब डॉलर की लागत वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना की आलोचना कर चुके हैं और उनके कई मंत्री कर्ज को लेकर चिंता की वजह से परियोजना में कुछ कटौती की बात कह चुके हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि इमरान चीन से और अधिक कर्ज की मांग कर सकते हैं.