डोनाल्ड ट्रंप का फिर डब्ल्यूएचओ पर फूटा गुस्सा, पत्र लिखकर हमेशा के लिए फंडिंग रोकने की दी चेतावनी

पूरे विश्व में कोरोना महामारी से लोगों का जीवन बेहाल हो गया है. इस जानलेवा वायरस का प्रकोप कहीं सबसे ज्यादा देखा जा रहा है तो वह अमेरिका है. अमेरिका में इस खतरनाक वायरस से अबतक 91 हजार 9 सौ 81 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं देश में इस वायरस के मामलों की संख्या 15 लाख को पार कर गई है.

डोनाल्ड ट्रंप (Photo Credits: Getty Images)

नई दिल्ली: पूरे विश्व में कोरोना महामारी से लोगों का जीवन बेहाल हो गया है. इस जानलेवा वायरस का प्रकोप कहीं सबसे ज्यादा देखा जा रहा है तो वह अमेरिका (United States) है. अमेरिका में इस खतरनाक वायरस से अबतक 91 हजार 9 सौ 81 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं देश में इस वायरस के मामलों की संख्या 15 लाख को पार कर गई है. इस बीच इस जानेलवा वायरस को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और डब्ल्यूएचओ (WHO) के बीच मनमुटाव भी काफी बढ़ गया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के प्रमुख टेड्रोस घेब्रेयेसस (Tedros Ghebreyesus) को एक पत्र लिखते हुए कहा है कि, 'अगर अगले तीस दिनों में विश्व स्वास्थ्य संगठन, अपनी नीति और संगठन में बड़ा बदलाव नहीं करता है तो अमेरिका अपनी फंडिंग को हमेशा के लिए बंद कर देगा.' इसके अलावा ट्रंप  ने इस पत्र में लिखा है कि, 'अगर डब्ल्यूएचओ इस बात पर अमल नहीं करता है तो हम संगठन में हमारी सदस्यता पर भी पुनर्विचार करेंगे.'

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बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार इस बात का आरोप लगा रहे हैं कि डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले में घोर लापरवाही बरती है और पूरी तरह से चीन (China) का पक्ष लिया है, इस वजह से दुनिया को आज यह दिन देखना पड़ रहा है. राष्ट्रपति ट्रंप  द्वारा डब्ल्यूएचओ को लिखे गए पत्र में बोला गया है कि साल 2019 के दिसंबर महीने में वुहान से कोरोना वायरस को लेकर जो भी रिपोर्ट्स आईं उनको नजरअंदाज किया गया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति के अनुसार इस महामारी का साल 2019 में ही पता लग गया था, लेकिन इसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया और पुरे विश्व को कोई चेतावनी नहीं दी गई. साथ ही साथ ट्रंप ने चीन को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि किसी भी देश को ऐसे महामारी की भनक लगने के बाद चौबीस घंटे के अंदर रिपोर्ट करना होता है, लेकिन चीन ने लापरवाही बरतते हुए ऐसा नहीं किया.

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