वाशिंगटन: चीन (China) के वुहान (Wuhan) से फैले कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप के कारण तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और चीन में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. यहां कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में आए दिन बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. कोरोना वायरस के चलते चीन में लोगों की आवाजाही ठप हो गई है और फैट्रियां व कारखाने बंद हो गए हैं. इस जानलेवा वायरस (Deadly Virus) के प्रभाव के कारण चीन की रफ्तार थम गई है और इसके साथ ही यहां के प्रदूषण स्तर (Pollution Level) में भी गिरावट दर्ज की जा रही है. अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने चीन की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की है, जिसमें प्रदूषण के स्तर में गिरावट दिखाई दे रही है. हवा में फैले नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (एनओ 2) (nitrogen dioxide-NO2) के स्तर में पहली बार गिरावट तब देखी गई जब वुहान से कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी से फैलने लगा और देखते ही देखे पूरे चीन में इस वायरस ने अपने पैर पसार लिया.
NO2 सांद्रता की तुलना करने वाले मानचित्र तस्वीरों में 1-20 जनवरी के बीच गिरावट देखी गई और इसके बाद 10-25 फरवरी के बीच यहां प्रदूषण के स्तर में गिरावट दर्ज की गई. नासा के अर्थ ऑब्जर्वेटरी ने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद चीन में आई आर्थिक मंदी के कारण प्रदूषण के स्तर में परिवर्तन देखा जा रहा है. यह भी पढ़ें: Coronavirus Hoax Message: कर्मचारियों को 5 मार्च से मिलेगी दो हफ्ते की पेड लीव, जानें कोरोना वायरस को लेकर वॉट्सऐप पर वायरल हो रहे इस मैसेज की सच्चाई
नासा ने जारी की सैटेलाइट तस्वीरें-
Pollution monitoring satellites have detected significant decreases in nitrogen dioxide over China. There is evidence that the change is at least partly related to the economic slowdown following the outbreak of coronavirus. Learn more from @NASAEarth: https://t.co/2N9GB8hfnB
— NASA (@NASA) March 1, 2020
बता दें कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए चीनी अधिकारियों ने सख्त कदम उठाए हैं. यहां लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगाते हुए देश भर में अस्थायी रूप से कारखानों और फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है. दरअसल, वाहनों और बिजली संयंत्रों में ईधन के दहन से पर्यावरण में NO2 का स्तर बढ़ता है. इसकी अधिकता के चलते अस्थमा जैसी सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. नासा के गोडार्ड फ्लाइट सेंटर के एक वायु गुणवत्ता शोधकर्ता ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रदूषण के स्तर में इतना ज्यादा ड्रमैटिक बदलाव देखा गया है.
साल 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के दौरान कई देशों में नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड के स्तर में कमी देखी गई थी. दरअसल, नए साल के आगमन के दौरान प्रदूषण के स्तर में यह कमी देखी गई थी, क्योंकि छुट्टियां होने की वजह से इस दौरान कारखाने और व्यवसाय बंद हो गए थे. हालांकि शोधकर्ताओं का मानना है कि छुट्टी की अवधि के दौरान दर्ज किए गए प्रदूषण लेवल की तुलना में चीन के प्रदूषण स्तर में ज्यादा गिरावट आई है. यह भी पढ़ें: Coronavirus से सुरक्षा के लिए कौन सा मास्क है सबसे ज्यादा असरदार, किसे करना चाहिए इसका इस्तेमाल
फरवरी महीने में हुए एक अलग अध्ययन में पाया गया कि पिछले एक पखवाड़े में चीन में कार्बन उत्सर्जन में कम से कम 100 मिलियन मीट्रिक टन की कमी आई है. फिनलैंड में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के एक अध्ययन के अनुसार, कोरोना वायरस के तेजी से फैलने से कोयले और तेल की मांग में कमी आने के कारण प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है.