World Telecom Day 2020: हर साल 17 मई को विश्व दूरसंचार दिवस मनाया जाता है. आज के समय में संचार के अलग-अलग माध्यम हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं, उनके बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है. खास तौर पर ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है, जिसकी वजह से लोगों का घर से बाहर निकला बंद हो गया है. सड़कें सूनी हैं, ऑफिस का काम घर से कर रहे हैं.
न जाने कितने ही काम सिर्फ इंटरनेट और फोन के जरिए ही संभव हो पा रहे हैं. लॉकडाउन में लाखों लोग अपने घर से दूर फंस गए. संकट की इस घड़ी में उनका साथ दिया मोबाइल और इंटरनेट ने. अपनों तक खैर-खबर भेजने का एक मात्र साधन यही है. और यही वजह से आज के समय में फोन, मोबाइल और इंटरनेट जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं.
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दूरसंचार क्या है
कोई भी ऐसा माध्यम जिससे दूर बैठे लोगों को किसी सिग्नल, संदेश, शब्द, लेखन, छवियों और ध्वनियों या किसी भी प्रकार की जानकारी पहुंचाना दूरसंचार है. टेलीफ़ोन, रेडियो, मोबाइल, इंटरनेट इसी के माध्यम हैं, जिनका प्रयोग करके हम हजारों मील तक कोई भी संदेश पहुंचा सकते हैं. अब इन माध्यमों का प्रयोग कई अन्य कार्यों में भी होने लगा है. मौजूदा समय में इंटरनेट और मोबाइल दूरसंचार के सबसे प्रमुख उपकरण हैं.
दूरसंचार दिवस का उद्देश्य
दूरसंचार के अलग-अलग माध्यमों के बारे में जागरूकता और उनमें नई संभावनाओं को तलाशने के उद्देश्य से दूरसंचार दिवस मनाया जाता है. साथ ही इंटरनेट और अन्य सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (आईसीटी) का उपयोग समाज और अर्थव्यवस्थाओं को बेहतर बनाने पर जोर दिया जाता है. पहले अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunication Union, ITU) की स्थापना के जश्न के रूप मनाया जाता था. लेकिन आधुनिक समय में इसकी शुरुआत 1969 में हुई. तभी से पूरे विश्व में 17 मई को दूरसंचार दिवस मनाया जाता है.
भारत में दूरसंचार का इतिहास
भारतीय दूरसंचार उद्योग तेजी से बढ़ता उद्योग है. भारतीय दूरसंचार के इतिहास को टेलीग्राफ की शुरूआत के साथ प्रारंभ किया जा सकता है. 1850 में, पहली प्रायोगिक बिजली तार लाइन डायमंड हार्बर और कोलकाता के बीच शुरू की गई थी. 1851 में, इसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए खोला गया था. डाक और टेलीग्राफ विभाग उस समय लोक निर्माण विभाग के एक छोटे कोने में था. 1881 में देश में पहली औपचारिक टेलीफोन सेवा की स्थापना हुई. उसके बाद भारत में 1882 में टेलीफोन एक्सचेंज का उद्घाटन किया गया. धीरे-धीरे इनमें कई बदलाव भी आए.
1985 में दिल्ली में गैर वाणिज्यिक आधार पर पहली मोबाइल टेलीफोन सेवा शुरू की गई. वर्तमान में 31 दिसंबर 2019 तक में ग्राहकों की संख्या करीब 1,17,24,40,000 है. भारती एयरटेल, जियो, वोडाफोन, आइडिया, बीएसएनएल (BSNL) प्रमुख दूरसंचार सेवा प्रदाता है.
भारत में इंटरनेट सेवा 15 अगस्त 1995 को तब आरंभ हुई जब विदेश संचार निगम लिमिटेड ने अपनी टेलीफोन लाइन के जरिए दुनिया के अन्य कंप्यूटरों से भारतीय कंप्यूटरों को जोड़ दिया. दुनिया में इंटरनेट के कुल यूजर्स में भारत की हिस्सेदारी 12 फीसदी है. मैरी मीकर की इंटरनेट प्रवृत्ति पर आयी 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेट का प्रयोग करने वाले में देश में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है. रेडियो, एफएम, शार्टवेव, टेलीविजन भी दूरसंचार के माध्यमों में से एक हैं.
ग्रामीण भारत में दूरसंचार
आज के समय में पूरे विश्व में दूरसंचार सेवाओं को किसी भी देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इसीलिए भारत के सामाजिक आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए दूरसंचार काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. भारत में दूरसंचार विभाग दूरसंचार सेवाओं में तेज वृद्धि के लिए विकास संबंधी नीतियां बनता है.
दूरसंचार क्रांति की वजह से ही देश की गिनती विश्व के तेज गति से प्रगति कर रहे देशों में होती है. इस क्रांति के कारण न केवल अन्य क्षेत्रों में फर्क पड़ रहा है, बल्कि ग्रामीण भारत तक टेक्नोलॉजी पहुंच रही है. ग्रामीण स्तर पर सभी पंचायतों को भारत नेट से जोड़ने का काम चल रहा है. देश में 1 लाख 5 हजार ग्राम पंचायतों में वाईफाई ब्रॉडबैंड इंस्टॉल करने का निर्णय लिया गया है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 11 मई 2020 तक 51,748 वाईफाई इंस्टॉल किया जा चुका है, उनमें से 21,725 ग्राम पंचायतों में वाईफाई नेटवर्क का संचालन शुरू हो चुका है. इनमें कुल 13,28,696 उपभोक्ता हैं, जो प्रति माह 1,86,164 जीबी डाटा का प्रयोग करते हैं. सच पूछिए तो लॉकडाउन के दौरान गांवों को शहरों से कनेक्ट करने में इंटरनेट ने बड़ी भूमिका निभाई है. आज देश का किसान भी दूरसंचार के माध्यम से अपनी खेती, बुआई, कृषि उत्पादों को बेचने, आदि के कार्य आसानी से कर पा रहा हैं.