टिकटॉक की कामयाबी ने शायद उसे दोस्त से ज्यादा दुश्मन दिए हैं. कई देशों में प्रतिबंधित टिकटॉक के सामने अमेरिका ने बिकने या फिर प्रतिबंध झेलने का विकल्प रखा है, मगर क्यों?अमेरिका में सरकार को लगता है कि टिकटॉक इस्तेमाल करने वाले 17 करोड़ अमेरिकी उपभोक्ताओं का डेटा चीन सरकार के हाथ में हैं, जिस से राष्ट्रीय सुरक्षा और प्राइवेसी को खतरा है. 24 अप्रैल को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने टिकटॉक पर लगाम कसने वाले एक कानून पर हस्ताक्षर किए. इसके प्रावधान के अनुसार या तो टिकटॉक के चीनी मालिक उसे किसी अमेरिकी को बेच दें या फिर अमेरिका में टिकटॉक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
टिकटॉक की मालिक चीनी कंपनी बाइटडांस इस कानून को अदालत में चुनौती देने की तैयारी में है. बीजिंग ने इस कदम को ‘अमेरिकी सांसदों की लूट' बताते हुए कहा है कि अमेरिका हर अच्छी चीज छीनना चाहता है. जानकारों का कहना है कि अगर बाइटडांस इस कानूनी लड़ाई में हारता है, और टिकटॉक किसी अमेरिकी को बेच देता है, तो यह वाशिंगटन के सामने चीन की हार मानी जाएगी.
टिकटॉक को बेचने की खबरों का खंडन करते हुए बाइटडांस के मालिक ने अपने स्वामित्व वाली न्यूज ऐप टूटिआओ पर यह ऐलान किया है, कि टिकटॉक को किसी अमेरिकी को बेचने का उनका कोई इरादा नहीं है.
टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून
इस नए कानून के अनुसार बाइटडांस को अमेरिका में टिकटॉक का मालिकाना हक त्यागना होगा और उसे किसी अमेरिकी को बेचना होगा. अमेरिका ने टिकटॉक को यह सौदा पूरा करने के लिए 270 दिन दिए हैं. अगर इन दिनों में अमेरिका को लगता है कि कोई सौदा हुआ है, और जल्दी ही टिकटॉक को किसी अमेरिकी को बेच दिया जाएगा, तब वह इस मोहलत को 90 दिन और बढ़ा सकती है. हालांकि यह बहुत बाद की बात है, क्योंकि जब तक वो 270 दिन पूरे होंगे, तब तक अमेरिका में अगली सरकार बन जाएगी. अगर डॉनल्ड ट्रंप अगले प्रधानमंत्री बनते हैं, तो वो यह 90 दिनों की अतिरिक्त मोहलत देंगे या नहीं, यह कोई नहीं जानता.
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का अखबार ग्लोबल टाइम्स के सम्पादक हू शीजीन का कहना है कि अब यह कानून वाशिंगटन को दूसरे चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाने के कदम को बढ़ावा भी दे सकता है. इसके चलते चीनी ई-कॉमर्स ऐप, टेमू पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
क्यों अमेरिका टिकटॉक पर लगाना चाहता है प्रतिबंध?
एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर व्रे ने यह बात कई बार कही है कि बाईटडांस चीनी सरकार के नियंत्रण में है. अमेरिकी अधिकारी को अंदेशा है कि बाइटडांस चीनी सरकार की आदेशों पर काम करता है, तो वह उन्हें टिकटॉक पर अपने उपभोक्ताओं का डाटा भी देता होगा. इसी डाटा का उपयोग देश की जासूसी में होने का शक अधिकारियों को है. इसे लेकर वह राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति उनके मन में चिंताएं उभरती हैं.
यह चिंता अकेले अमेरिका को नहीं है. टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने वाले सभी देशों की प्रमुख चिंता यही रही है कि टिकटॉक के बढ़ते उपभोक्ताओं का डाटा चीनी सरकार के पास होगा. यह डाटा अलग-अलग देशों से आता है. अमेरिका सहित कई देशों ने इस पर किसी ना कसी रूप में पहले ही प्रतिबंध लगाया हुआ है.
यूनाइटेड किंगडम, न्यू जीलैंड, नॉर्वे, फ्रांस और यूरोपीय संघ के सरकारी उपकरणों में टिकटॉक के इस्तेमाल पर रोक है. भारत में टिकटॉक पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, अफगानिस्तान, लातविया, डेनमार्क, कनाडा, इंडोनेशिया और नीदरलैंड्स, नेपाल, पाकिस्तान, सोमालिया ने भी टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाए हैं.
हालांकि टिकटॉक ने हमेशा ही अपने संचालन में चीनी सरकार की दखल के दावों को खारिज किया है. पिछले साल कांग्रेस के समक्ष एक सुनवाई में टिकटॉक के सीईओ ने कहा था "मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि बाइटडांस ना तो चीन का एजेंट है और ना ही किसी और देश का.”
टिकटॉक का मशहूर ‘एल्गोरिदम'
रायटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार जानकारों को उमविधानसभा चुनाव