जिसे मामूली तारा समझा, वह निकला एक दैत्याकार हिंसक पिंड
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

वैज्ञानिकों ने जिसे कभी एक मामूली सितारा समझा था वह आकाश का अब तक का सबसे चमकदार पिंड था. इसकी ताकत इंसानी कल्पनाओं की सारी सीमाओं के पार है.खगोलविदों ने आकाश में एक पिंड खोजा है जो ब्रह्मांड की शायद सबसे चमकती हुई चीज है. यह एक नाभिकीय पिंड है जिसके भीतर एक विशाल ब्लैक होल है. यह ब्लैक होल इतनी तेजी से बड़ा हो रहा है कि रोजाना एक सूरज जितना बड़ा हिस्सा निगल जाता है.

यह आकाशीय पिंड हमारे सूर्य से 500 खराब गुना ज्यादा चमकीला है. ब्लैक होल के कारण इसकी ऊर्जा हमारे सूर्य से 17 अरब गुना ज्यादा है. ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक दल ने इसकी खोज की है. यह शोध साइंस पत्रिका ‘नेचर एस्ट्रोनॉमी' में प्रकाशित हुआ है.

भयावह जगह

पृथ्वी से ली गईं तस्वीरों में तो यह चमकता हुआ सितारा सिर्फ एक छोटा सा बिंदु भर नजर आता है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक बेहद भयावह जगह है.

यह एक घूमती हुई चक्की जैसा है जिसके भीतरी हिस्से में चमकदार गैसें और अन्य सितारें हैं जिन्हें ब्लैक होल निगल चुका है. वैज्ञानिक कहते हैं कि यह एक आकाशीय चक्रवात जैसा है.

बेहद विशालकाय ब्लैक होल आकाशगंगाओं के केंद्र में होते हैं और अपनी विशाल गुरुत्वाकर्षण शक्ति से सितारों को धूल के कणों की तरह निगल जाते हैं. प्रकाश भी इनकी शक्ति से बच नहीं पाता.

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के क्रिस्टियान वॉल्फ इस शोध के मुख्य शोधकर्ता हैं. वह बताते हैं, "अब तक हम जितने भी आकाशीय पिंडों को जानते हैं, उनमें से यह सबसे हिंसक जगह है.”

अब तक समझा सितारा

वैसे सबसे पहले इस पिंड को यूरोपीयन सदर्न ऑब्जर्वेटरी ने 1980 में आसमान के एक सर्वे के दौरान खोजा था. इसे J0529-4351 नाम दिया गया. तब वैज्ञानिकों ने इसे एक सितारा ही समझा था. लेकिन पिछले साल मिली जानकारियों ने इस सितारे को लेकर वैज्ञानिकों में नई उत्सुकता पैदा की.

ऑस्ट्रेलिया और चिली में स्थापित अत्यधिक शक्तिशाली दूरबीनों से इसका अध्ययन किया गया. येल यूनिवर्सिटी की प्रियंवदा नटराजन इस शोध में शामिल नहीं थीं. वह कहती हैं, "इस आकाशीय पिंड के बारे में सबसे मजेदार बात यह है कि यह हमारे सामने ही मौजूद था और हम इसे सितारा समझते रहे.”

यह आकाशीय पिंड पृथ्वी से 12 अरब प्रकाश वर्ष दूर है जो करीब 5.8 खरब मील बनता है. इसका जन्म ब्रह्मांड के जन्म के आसपास ही हुआ होगा.

इस चमकदार आकाशीय पिंड के बारे में जो जानकारियां मिली हैं, वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर मॉडलिंग के जरिए उनका विश्लेषण किया है. उन्होंने पाया कि हर साल हमारे सूर्य के बराबर आकार के करीब 370 सितारे इसके गर्भ में समाते जा रहे हैं, यानी औसतन रोजाना एक सूरज. इसके गर्भ में जितना भार जमा हो गया है, वह हमारे सूरज से 17 से 19 अरब गुना ज्यादा है.

वीके/एए (एपी)