शेरों का शिकार कर उनकी खाल उतारते थे आदिमानवः शोध
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पहली बार इस बात का सबूत जुटाया है कि आदिमानव शेर का शिकार करते थे और उसकी खाल इस्तेमाल किया करते थे.वैज्ञानिकों ने एक शोध के बाद कहा है कि नियान्डर्थल आदिमानव शेरों का शिकार किया करते थे और उसकी खाल का इस्तेमाल करते थे. जर्मनी, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की एक टीम ने मिलकर यह शोध किया है, जिसके नतीजे ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स‘ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं.

शोध के मुताबिक नियान्डर्थल आदिमानवों द्वारा शेरों के शिकार के सीधे संबंध के सबूत पहली बार मिले हैं. वैज्ञानिकों को दक्षिण-पूर्व जर्मनी के जिगडोर्फ में ये सबूत मिले हैं जो 48 हजार साल तक पुराने हैं.

शोधकर्ताओं ने गुरुवार को कहा कि उनकी खोज "मानव इतिहास में शिकार के पहले सीधे संबंध” का सबूत है. वैज्ञानिकों को शेर की पसलियों में छेद के घाव मिले जिनसे पता चलता है कि उसे लकड़ी से बने तीर से मारा गया होगा.

तीर से हुआ शिकार

मुख्य शोधकर्ता गाब्रिएले रूसो ट्यूबिनगेन यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट फॉर आर्कियोलॉजिकल साइंसेज में पढ़ाती हैं. वह कहती हैं, "पसलियों में छेद शरीर पर मौजूद दातों से काटे जाने के निशानों से बिल्कुल अलग हैं और दिखाते हैं कि किसी हथियार की वजह से यह घाव बना है.”

ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी में पुरातत्वविद एनेमीके मिल्क्स कहती हैं कि शेर को संभवतया एक तीर से मारा गया होगा जो उसके पेट में घुस गया. तब शेर जमीन पर पड़ा होगा.

शुरुआत में वैज्ञानिकों को मध्य जर्मनी के आइनहोर्नहोले में कम से कम 1,90,000 साल पुराने शेर के पंजे मिले थे. शोधकर्ताओं के मुताबिक यह इस बात का सबूत है कि नियान्डर्थल मध्य यूरोप में शेर की खाल का इस्तेमाल करते थे.

पंजे की हड्डी

रूसो कहती हैं कि पंजे की हड्डी का होने का मतलब यही है कि पहले शेर की खाल को उतारा गया होगा और तब उसके पंजे खाल के साथ ही जुड़े होंगे. इस खोज के बाद वैज्ञानिकों ने जिगडोर्फ में मिले अवशेषों का अध्ययन किया. ये अवशेष 1985 में खोजे गये थे.

वैज्ञानिकों के दल को तीन अन्य गुफाओं से भी शेर के पंजों की हड्डियां मिलीं, जिन पर करीने से काटे होने के निशान थे. ऐसा तब होता है जब जानवर की खाल उतारी जाती है.

गुफाओं में रहने वाले ये शेर करीब 1.3 मीटर ऊंचे होते थे. दो लाख साल पहले ये यूरेशिया में सबसे बड़े शिकारी थे. हिम युग के अंतिम दौर में ये विलुप्त हो गये थे.

वीके/सीके (डीपीए)