लीबिया में तूफान और बांध टूटने की वजह से 20,000 से ज्यादा लोगों के मरने की आशंका है. आखिर ऐसा क्या किया जाए कि बांध टूटने जैसी इस तरह की विनाशकारी घटना दोबारा न हो?भूमध्य सागर से उठे डैनियल तूफान ने लीबिया में हाल ही में भयंकर तबाही मचाई. इस तूफान की वजह से देश के दो बांध, अबू मंसूर और डेरना बांध टूट गए. विशेषज्ञों ने कहा, "हम वर्षों से इस बारे में चेतावनी दे रहे हैं. अगर बाढ़ आती है, तो यह निचले इलाके में रहने वाले लोगों के लिए विनाशकारी साबित होगा और यही हुआ.” माना जाता है कि तूफान और बाढ़ की वजह से लीबिया में हजारों लोग मारे गए और कई लापता हैं. 30,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं.
संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसी ओसीएचए ने लीबिया के दो अन्य बांधों को लेकर चिंता जताई है, लेकिन बांधों की मजबूती पर "विरोधाभासी रिपोर्ट” का उल्लेख किया है. ये हैं डेरना और बेनगाजी शहर के बीच बना जजा बांध और बेनगाजी के पास बना कतरा बांध.
बांधों की मजबूती को लेकर विरोधाभासी रिपोर्ट सिर्फ लीबिया ही नहीं, बल्कि अन्य देशों में भी सामने आई है. ब्राजील में मिना गेरियास में एक खनन बांध टूटने के बाद गलत रिपोर्ट देने के आरोप लगे थे. जनवरी 2019 में यह बांध टूट गया और चारों ओर जहरीला मलबा फैल गया. इस घटना में 270 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि, इस हादसे से ठीक एक साल पहले, जोखिम का मूल्यांकन करने वाली जर्मन फर्म टुफ ज्यूड की ब्राजीलियाई सहायक कंपनी ने बांध के सुरक्षित होने का प्रमाण दिया था.
बांध क्यों बनाए जाते हैं?
बांध पानी इकट्ठा करने और उसके भंडारण का एक तरीका है. यह प्राकृतिक पानी भी हो सकता है या पास की खदान से निकलने वाला बेकार पानी भी हो सकता है. अगर किसी खदान के पानी को इकट्ठा करने के लिए बांध बनाया जाता है, तो इसे ‘खदान अवशेष' वाला बांध भी कहते हैं. इसमें अयस्क के खनन के दौरान बची हुई सामग्री, धातु, रसायन और तरल पदार्थ का मिश्रण हो सकता है.
बांधों का इस्तेमाल सिंचाई के लिए पानी जमा करने, पशुओं के लिए पानी की आपूर्ति करने, प्रदूषण नियंत्रण और ऊर्जा उत्पादन आदि के लिए किया जा सकता है.
बांध कैसे बनाए जाते हैं और वे पानी के दबाव का सामना कैसे करते हैं?
मानव निर्मित बांध मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं: तटबंध और कंक्रीट बांध. तटबंध बांध सबसे सामान्य हैं. इन्हें खनन या मिलिंग जैसे कार्यों से निकलने वाले अवशेषों से बनाया जा सकता है. हालांकि, वे प्राकृतिक मिट्टी और चट्टान से भी बनाए जाते हैं. इन्हें पानी को एक जगह इकट्ठा करने के मकसद से बनाया जाता है.
तटबंध कितने पानी के दबाव तक सुरक्षित रह सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे बनाने के लिए किस तरह की, कितनी मात्रा में और कितनी मजबूत सामग्री का इस्तेमाल किया गया है.
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कंक्रीट बांधों को तीन अलग-अलग तरह के बांध के तौर पर विभाजित किया गया है: ग्रैविटी, बट्रेस और आर्क बांध. ग्रैविटी यानी गुरुत्व बांध सबसे सामान्य कंक्रीट बांध होते हैं. वे वर्टिकल कंक्रीट ब्लॉक से बने होते हैं और उन्हें आपस में जोड़ा जाता है. इसमें पानी का दबाव बांध की दीवार से टकराता है और इसे नीचे की ओर धकेलता है.
बट्रेस बांध अपने आकार में ग्रैविटी बांधों की तरह ही होते हैं, लेकिन उनमें कम कंक्रीट की जरूरत होती है. इसमें पानी के दबाव को ढलान वाले बट्रेस या ब्लॉक की मदद से बांध की नींव की ओर मोड़ दिया जाता है.
आर्क बांध ऊपर से अर्ध-वृत्ताकार या दीर्घ-वृत्ताकार जैसे दिखते हैं. इसमें दीवार का निर्माण कंक्रीट के वर्टिकल स्लैब से किया जाता है. यह स्लैब अपेक्षाकृत पतला होता है. पानी का दबाव किनारे की तरफ वाले एबटमेंट यानी जोड़ वाले हिस्से की ओर ले जाया जाता है. बता दें कि स्टील और लकड़ी से भी बांध बनाए जा सकते हैं.
बांध को ओवरफ्लो होने से कैसे रोका जाता है?
यह सबसे अहम बात है. कभी-कभी बांध टूट जाते हैं और ओवरफ्लो होने लगते हैं. इससे विनाशकारी बाढ़ आ जाती है, हजारों लोगों की मौत हो जाती है और हर ओर तबाही का मंजर दिखने लगता है. हालांकि, आउटलेट और स्पिलवे की मदद से ‘पानी से पूरी तरह भरे बांध (ओवरटॉपिंग)' को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे बांध पर दबाव कम होता है और उसके टूटने की संभावना कम हो जाती है.
आउटलेट के तहत, व्यवस्थित तरीके से पानी को नदी में छोड़ा जाता है. इस पानी का इस्तेमाल पनबिजली बनाने, नदी के प्रवाह को बनाए रखने और नहरों के जरिए खेतों की सिंचाई करने के लिए किया जा सकता है. वहीं, स्पिलवे अक्सर खुले ढलान या शाफ्ट होते हैं. यहां से पानी तब निकलता है जब यह तय स्तर से ऊपर पहुंचने लगता है.
बांध क्यों टूटते हैं?
बांध टूटने की एक सबसे सामान्य वजह है उसकी उम्र. इस वजह से अक्सर बांध अनियंत्रित तरीके से टूट जाता है. 2021 में संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की. इसमें बताया गया था कि दुनिया में मौजूद दसियों हजार बड़े बांध 50 वर्ष की ‘चेतावनी' वाली आयु सीमा तक पहुंच गए हैं. कई अन्य जल्द ही 100 वर्ष के करीब पहुंच जाएंगे.
मिना गेरियास में ब्रुमाडिन्हो बांध 1976 में बनाया गया था. इसका मतलब है कि यह अपने जीवनकाल के अंत के करीब पहुंच रहा था. लीबिया के अबू मंसूर और डेरना बांध भी 1970 के दशक में बनाए गए थे. शायद इसलिए वे डैनियल तूफान को नहीं झेल सके.
इसके अलावा, बांधों के टूटने का एक कारण खराब डिजाइन और अनियमित रखरखाव भी है. अगर स्पिलवे सही से डिजाइन नहीं किया गया है और भारी बारिश का सामना नहीं कर सकता है, तो ओवरटॉपिंग हो सकती है. समय के साथ, स्पिलवे से पानी निकलना बंद हो सकता है.
बांध जितना पुराना होता है उसकी नींव उतनी ही ज्यादा प्राकृतिक गतिविधियों का अनुभव कर सकती है. इससे बांध के आसपास की ढलानें अस्थिर हो सकती हैं. अगर निर्माण के दौरान इस्तेमाल की गई सामग्री नष्ट होने लगती है, तो इससे रिसाव हो सकता है.
वहीं, भूकंप, बाढ़, चरम मौसम और भूस्खलन की वजह से भी बांध टूट सकते हैं. कभी-कभी युद्ध के दौरान बमबारी करके या जानबूझकर भी बांधों को तोड़ दिया जाता है.
बांधों को टूटने से कैसे रोका जा सकता है?
इसके कई जवाब हैं. हालांकि, सबसे जरूरी यह है कि बांधों का नियमित तौर पर रखरखाव होना चाहिए. समय-समय पर इंजीनियरों और विशेषज्ञों की सलाह के मुताबिक काम करते रहना चाहिए. साथ ही, एक बेहतर रणनीति भी तैयार रखनी चाहिए कि अगर किसी वजह से बांध टूटता है, तो उस परिस्थिति में तत्काल क्या कदम उठाए जा सकते हैं.
लोगों को भी समय-समय पर जागरूक करना चाहिए कि अगर कभी ऐसा हादसा होता है, तो उन्हें क्या करना चाहिए. इन तमाम बातों के बीच यूएस फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी (फेमा) का कहना है, “कोई भी बांध बाढ़ से सुरक्षित नहीं है”.