दुर्लभ रंगों वाले समुद्री केकड़े सचमुच कितने दुर्लभ हैं
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

नारंगी, नीले, रंग बिरंगे, दो रंग वाले और कॉटन कैंडी (बुढ़िया के बाल) जैसे रंग के समुद्री केकड़े पिछले साल मछुआरों के जाल से लेकर सुपरमार्केट के सीफूड टैंक और वैज्ञानिकों की प्रयोगशालाओं में नजर आए हैं.इन रंगीन केकड़ों ने खूब सुर्खियां बटोरीं. कॉटन कैंडी कलर्ड केकड़ों के बारे में तो अनुमान है कि 10 करोड़ में एक केकड़ा ही ऐसा होता है. अमेरिका के माइन, न्यू यॉर्क, कोलोराडो और दूसरी जगहों पर वैज्ञानिकों से यह पूछा जा रहा है कि ये केकड़े प्रकृति में कितने दुर्लभ हैं.

आमतौर पर जैसा कि होता है, विज्ञान के लिए यह कहानी जटिल है. केकड़ों का रंग उनके जेनेटिक गुणों और पोषण में अंतर की वजह से अलग- अलग हो सकता है. कोई खास रंग कितना दुर्लभ है इसके बारे में जानकारी पर संदेह करने की भरपूर गुंजाइश है. यूनिवर्सिटी ऑफ माइन के अमेरिकन लॉबस्टर सेटलमेंट इंडेक्स के प्रमुख वैज्ञानिक एंड्रयू गूड का कहना है कि झींगे के इन अनोखे रंगों का कोई निश्चित स्रोत नहीं है. गूड ने यह भी कहा, "किस्से कहानियों में तो इनका स्वाद भी कोई अलग नहीं होता." जंगल में मिलने वाले केकड़े आमतौर पर भूरे दिखते हैं और जब उन्हें खाने के लिए उबाला जाता हो तो उनका रंग नारंगी हो जाता है.

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अनोखे केकड़ों के आंकड़े कितने पक्के

गूड का कहना है कि केकड़ों का अनोखा रंग जीनों के म्यूटेशन से हो सकता है. यह उनके कठोर खोल के कणों को बांधने वाले प्रोटीन पर असर डाल सकता है. केकड़ों के रंग में जो अनोखापन है उसके आकलन के लिए सबसे बढ़िया आंकड़े मछली पकड़ने वालों के पास है. माइने की यूनिवर्सिटी ऑफ इंग्लैंड में मरीन साइंस के प्रोफेसर मार्कस फ्रेडरिक का कहना है, "सचमुच कोई उन पर नजर नहीं रखता." फ्रेडरिक और दूसरे वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 10 लाख में एक केकड़ा नीला होता है तो 3 करोड़ में कोई एक नारंगी. फ्रेडरिक का कहना है कि इन आंकड़ों को बहुत पक्का नहीं माना जाना चाहिए. हालांकि वह और उनके छात्र इस स्थिति को बदलने के लिए कोशिश कर रहे हैं.

फ्रेडरिक केकड़ों के जेनेटिक नमूने को निकालने के तरीकों पर काम कर रहे हैं जो उनकी बाहरी त्वचा के रंगों के सूक्ष्मतम आधार को समझने में मदद करेगा. यूनिवर्सिटी लैब में उनके पास अनोखे रंग वाले केकड़ों का संग्रह है. वह एक नारंगी केकड़े पीचेस के बच्चों के विकास पर नजर रख रहे हैं. यह यूनिवर्सिटी में ही रहता है. उसने इस साल हजारों बच्चों को जन्म दिया है. जो बच्चे जिंदा बचे हैं उनमें आधे से थोड़े ज्यादा सामान्य रंगों के हैं.

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दो रंग वाला केकड़ा

फ्रेडरिक के मुताबिक अनोखे रंग वाले केकड़ों के डीएनए के अध्ययन से वैज्ञानिकों को उसके पीछे की जेनेटिक्स समझने में ज्यादा मदद मिल सकती है. उनका कहना है, "माइने में केकड़े प्रतिष्ठित जीव हैं और मुझे वो सुंदर लगते हैं. खासतौर से जब आप इन दुर्लभ रंग वालों को देखें तो वे शानदार लगते हैं. इसके बाद मेरे अंदर का वैज्ञानिक सरलता से कहता है, यह कैसे काम करता है मुझे जानना है."

वह केकड़ों को खाते हैं लेकिन इन दुर्लभ केकड़ों को कभी नहीं. फ्रेडरिक के केकड़ों में एक ऐसा है जिसका रंग एक तरफ सामान्य तो दूसरी तरफ नारंगी है. उन्होंने ने बताया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि दो अंडों को मिला कर एक जीव बनाया गया है. उनका कहना है कि माना जाता है कि ऐसा 5 करोड़ केकड़ों में कोई एक होता है.

दुर्लभ केकड़े कुछ और जगहों पर भी नजर आए हैं. अमेरिकी मछुआरे 2009 से ही हर साल करीब 40,820 मेट्रिक टन केकड़े डॉक पर लेकर आ रहे हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ माइने में लॉबस्टर रिसर्चर रहे रिचर्ड वेल अब रिटायर हो चुके हैं. उनका कहना है, "हर साल के करोड़ों लॉबस्टरों में अगर कुछ अनोखे दिखते हैं तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए, भले ही 10 लाख में एक हों या फिर तीन करोड़ में एक."

एनआर/एसआर (एपी)