पौधे बिना आंख प्रकाश को कैसे 'देखते' हैं?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पौधों में ना तो दिमाग होता है और ना ही आंखें. फिर वे कैसे इस बात का पता लगा लेते हैं कि प्रकाश किस तरफ है और बढ़ने के लिए उसके मुताबिक घूम जाते हैं. वैज्ञानिकों ने इस रहस्य से पर्दा उठा दिया है.भारतीय वैज्ञानिक जेसी बोस ने यह बात बहुत पहले ही बता दी थी कि पेड़-पौधों में भी जान है और वे भी सांस लेते हैं. लेकिन यह रहस्य ही बना हुआ था कि पौधे प्रकाश का पता कैसे लगाते हैं.

अब वैज्ञानिकों ने साइंस पत्रिका के नवंबर 2023 के अंक में छपे एक अध्ययन में इस गुत्थी को सुलझाने की कोशिश की है. वैज्ञाानिक जानते हैं कि पौधों के विकास के लिए धूप बहुत जरूरी है. इसीलिए वे प्रकाश की दिशा की तरफ घूम जाते हैं. सूरजमुखी का पौधा इसकी सबसे अच्छी मिसाल है.

धूप की दिशा में बढ़ने की पौधों की इस प्रक्रिया को फोटोट्रोपिज्म कहते हैं. प्रकाश को केंद्र में रखकर होने वाली इस गतिशीलता का पता सबसे पहले चार्ल्स डार्विन और उनके बेटे ने तब लगाया, जब 19वीं सदी खत्म होने को थी. उन्होंने पाया कि जब कोई पौधा ऐसे अंधेरे कमरे में रखा हो जहां एक तरफ एक मोमबत्ती ही जल रही है तो पौधा रोशनी की तरफ झुक जाता है.

क्या पौधे इंसानों की तरह देखते हैं?

फोटोट्रोपिज्म में फोटोरिसेप्टर मदद करते हैं. साइंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के लिए प्रमुख रिसर्चर क्रिस्टियान फांकहॉयजर ने कहा कि पौधों में फोटोरिसेप्टर कुछ-कुछ वैसे ही काम करते हैं जो इंसानों और दूसरे जानवरों की आंखों में पाए जाने वाले रिसेप्टर करते हैं. लेकिन इंसानों के रिसेप्टरों और पौधों के 'देखने वाले' रिसेप्टरों में कुछ अंतर भी हैं.

लुजान यूनिवर्सिटी के जुड़े फांकहॉयजर कहते हैं कि पहला अंतर तो यह है कि इंसानों और अन्य जानवरों के देखने वाले रिसेप्टर सिर्फ आंखों तक ही सीमित होते हैं जबकि पौधे तो पूरी तरह ऐसे रिसेप्टरों से ढके होते हैं. इसका मतलब है कि वे हर दिशा से देख सकते हैं. फांकहॉयजर ने डीडब्ल्यू के साथ खास बातचीत में कहा कि इस तरह कहा जा सकता है कि पौधे के पूरे शरीर पर आंखें होती हैं.

दूसरा अंतर यह है कि इंसान और दूसरे जानवर साफ-साफ छवि देख सकते हैं, वहीं पौधे सिर्फ प्रकाश की मौजूदगी का ही पता लगा सकते हैं, उसकी मात्रा, रंग, अवधि और दिशा के साथ.

पौधे प्रकाश की दिशा का कैसे पता लगाते हैं?

फांकहॉयजर और उनकी टीम ने कुछ खास फोटोरिसेप्टरों के काम करने के तरीके की पड़ताल की जिन्हें फोटोट्रोपिंस कहा जाता है. यही प्रकाश की दिशा पर नजर रखते हैं.

फांकहॉयजर ने बताया कि फोटोट्रॉपिंस एक ऐसे सोलर पैनल की तरह है जो सूरज की स्थिति पर नजर रखता है ताकि उसे ज्यादा से ज्यादा फोटोन मिले और सोलर एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदलने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सके.

हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि फोटोट्रोपिंस 'देखते' हैं कि प्रकाश किस दिशा से आ रहा है, लेकिन उन्हें अब भी सटीकता से यह नहीं पता चला है कि फोटोट्रोपिंस के भीतर वो कौन सी चीज है जो आंख की तरह काम करती है.