इस हफ्ते बेलारूस ने भी चीन के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम की सदस्यता ले ली है. अमेरिका के मुकाबिल खड़ी की जा रही इस परियोजना के समर्थक लगातार बढ़ रहे हैं.बेलारूस भी चीन के ‘इंटरनेशनल लुनार रिसर्च स्टेशन' (ILRS) प्रोग्राम का हिस्सा बन गया है. इस महीने इस प्रोग्राम में शामिल होने वाला यह तीसरा देश है. इस प्रोग्राम का मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थायी इंसानी बस्ती बसाना है.
इस प्रोग्राम में चीन के साथियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अक्टूबर की शुरुआत में पाकिस्तान और अजरबैजान इस प्रोग्राम में शामिल हुए थे. 2021 में चीन और रूस ने मिलकरयह कार्यक्रम शुरू किया था, जिसे अमेरिका के नेतृत्व वाले आर्टेमिस प्रोग्राम का प्रतिद्वन्द्वी माना जाता है.
इस साल अब तक वेनेजुएला, दक्षिण अफ्रीका, अजरबैजान, पाकिस्तान और बेलारूस इस प्रोग्राम का हिस्सा बन चुके हैं. रूस और चीन को मिलाकर इस प्रोग्राम में अब सात देश हो चुके हैं.
क्या है आईएलआरएस?
आईएलआरएस के तहत इस दशक में कई अभियान चांद पर भेजे जाएंगे, जो एक रिसर्च स्टेशन स्थापित करने की तैयारी होगी. 2030 तक एक आधारभूत ढांचा तैयार करने की कोशिश है, जिस पर अगले दशक में एक पूरा बेस तैयार किया जाएगा. 2050 तक आईएलआरएस के पूरी तरह सक्रिय शोध केंद्र बन जाने की उम्मीद की जा रही है, जिसे ब्रह्मांड के अन्य हिस्सों की यात्रा के लिए बेस के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सके.
2030 तक चीन अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक महाशक्ति बनने की तैयारी कर रहा है. उसने और देशों को प्रोग्राम में शामिल होने का न्योता दिया है. इसी हफ्ते सोमवार को अजरबैजान की राजधानी बाकू में चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन कांग्रेस हुई थी जिसमें चीन ने अपने अंतरिक्ष अभियान चांग-8 का ऐलान किया और अन्य देशों को भी इसमें शामिल होने को आमंत्रित किया.
इस अभियान के तहत चीन और उसके अंतरराष्ट्रीय साझीदार अपने-अपने अंतरिक्ष यानों को मिलकर भेज सकते हैं, यानों के बीच संपर्क और संवाद हो सकता है और चांद की सतह पर मिलकर शोध किया जा सकता है.
अन्य देशों को न्योता
सीएनएसए ने कहा कि साझीदार देश चाहें तो वे चांग-8 अभियान के जरिये भी अपने यान अंतरिक्ष में भेज सकते हैं. या फिर अलग से भी अपने यान भेज सकते हैं. इसके लिए चीन ने 31 दिसंबर तक अपना इच्छा-पत्र भेजने को कहा है. साझीदारों के बारे में अंतिम फैसला अगले साल सितंबर में होगा.
चांग-8 मिशन 2026 में अंतरिक्ष के लिए रवाना होगा. यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर यान स्थापित करेगा. दो अभियानों के जरिये आईएलआरएस का बेस तैयार किया जाएगा. 2020 में चीन ने चांद परअपना एक मानव-रहित यान भेजा था, जिसे चांग-5 नाम दिया गया था. अब 2024 की पहली छमाही में वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर यान भेजेगा, जो वहां से मिट्टी के नमूने लेकर आएगा. 2030 तक चीन चंद्रमा पर अपने यात्री पहुंचाना चाहता है.
आर्टेमिस से मुकाबला
दूसरी तरफ अमेरिका इसी मकसद से आर्टेमिस अभियान शुरूकर चुका है. आर्टेमिस नासा के उस अंतरिक्ष कार्यक्रम का नाम है जिसका लक्ष्य इंसानों को एक बार फिर चांद पर और उसके बाद पहली बार मंगल ग्रह पर ले कर जाना है. इसके तहत नासा ने पिछले साल आर्टेमिस-1 को अंतरिक्ष में भेजा था जिसका लक्ष्य एसएलएस रॉकेट और मानव दल को ले जाने वाले कैप्सूल ओरायन का परीक्षण करना था.
आर्टेमिस-2 नाम का अगला मिशन अंतरिक्ष यात्रियों को चांद की सतह पर उतरे बिना उसके इर्द गिर्द कक्षा में ले जाएगा. आर्टेमिस-3 का लक्ष्य है 2025 तक इंसान को चांद पर उतारना है.
आईएलआरएस की तरह ही आर्टेमिस कार्यक्रम का लक्ष्य भी चांद पर स्थायी इंसानी मौजूदगी कायम करना है. इसके तहत चांद की कक्षा में लगातार घूमने वाला गेटवे नाम का केंद्र बनाने और चांद की सतह पर एक अड्डा बनाने की कोशिश की जा रही है.
वीके/एए (रॉयटर्स/एपी/एएफपी)