Chandrayaan-2: आज चांद पर कदम रखकर भारत रचेगा इतिहास, लैंडिंग के वक्त 15 मिनट होंगे बेहद चुनौतीपूर्ण, जानें इससे जुड़ी खास बातें
चंद्रयान-2 (Photo Credits: Twitter, @isro)

भारत (India) स्पेस साइंस की दुनिया में इतिहास रचने से कुछ ही कदम दूर है. भारत का महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के चांद पर कदम रखने में कुछ ही घंटे बाकी हैं. इस एतिहासिक पल के लिए देश के साथ-साथ पूरी दुनिया की नजरें भारत के स्पेसक्राफ्ट पर टिकी हैं. चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात 1.30 से 2.30 बजे के बीच चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतरेगा. चंद्रयान-2 का लैंडर 'विक्रम चांद की सतह पर ऐतिहासिक 'सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तैयार है और यह क्षण इसरो (ISRO) के वैज्ञानिकों के सहित पूरे देश के लिए 'दिल की धड़कनों को थमा देने वाला होगा. अंतरिक्ष में भारत की इस एतिहासिक छलांग का सभी को बेसब्री से इंतजार है.

चंद्रयान 2 का लैंडर विक्रम की चांद की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा इसके साथ ही भारत अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय लिखते हुए चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला विश्व का प्रथम देश बन जाएगा. भारत के इस ऐतिहासिक पल के साक्षी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बनेंगे. पीएम मोदी शुक्रवार देर रात को ही बेंगलुरु के ISRO सेंटर में पहुंचेंगे, जहां पर वह स्कूली बच्चों के साथ इस पल को देखेंगे.

यह भी पढ़ें- Chandrayaan-2 की चांद पर लैंडिंग: पीएम मोदी के साथ ओडिशा, झारखंड, मेघालय के छात्र बनेंगे इस ऐतिहासिक पल के गवाह, लखनऊ की बेटी को भी मिला इवेंट देखने का मौका.

शुरुआती कुछ घंटे महत्वपूर्ण, 15 मिनट बेहद कठिन

चांद पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की लैंडिग की शुरुआती कुछ घंटे बेहद महत्वपूर्ण होंगे. लैंडिंग की प्रक्रिया देर रात 1 बजे के आसपास शुरू होगी, जो 7 सितंबर सुबह तक जारी रहेगी. रात एक बजे से दो बजे के बीच 'विक्रम' लैंडर नीचे की ओर चलना शुरू करेगा और रात डेढ़ से ढाई बजे के बीच यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा. तब इसकी रफ्तार 200 मीटर प्रति सेकंड होगी. यहां खास बात यह है कि भारत पहली बार अपने किसी यान की सॉफ्ट लैंडिंग कराने जा रहा है, वह भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जहां आज तक कोई दूसरा देश नहीं पहुंचा है.

लैंडिंग के लिए विकल्प मौजूद 

इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा. इस बीच इसरो के लिए 15 मिनट बेहद कठिन होंगे. लैंडर विक्रम दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद 2 क्रेटर मैंजिनस-C और सिंपेलियस-N के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा. करीब 6 KM की ऊंचाई से लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा. इस दौरान कुल पंद्रह मिनट का समय लगेगा. इस बीच अगर लैंडर विक्रम चंद्रमा की ऐसी सतह पर उतरता है जहां 12 डिग्री से ज्यादा का ढलान है तो उसके पलटने का खतरा रहेगा. हालांकि लैंडर के पास प्राइमरी साइट के भी दो विकल्प हैं और उस वक्त की स्थिति के हिसाब से वह फैसला करेगा कि लैंडिंग कहां करनी है.

करीब 2 घंटे के बाद  खुलेगा विक्रम लैंडर का रैंप 

चांद पर लैंडिंग के वक्त करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा. इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद पर उतरेगा. विक्रम लैंडर के अंदर ही 'प्रज्ञान रोवर' है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा. विक्रम में से रोवर प्रज्ञान सुबह 5.30 से 6.30 के बीच बाहर आएगा. प्रज्ञान चांद की सतह पर एक लूनर डे (चांद का एक दिन) में ही कई प्रयोग करेगा. चांद का एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है. हालांकि, चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहा ऑर्बिटर एक साल तक मिशन पर काम करता रहेगा. वह 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर चक्कर काटेगा.

दक्षिणी ध्रुव है रहस्यमयी

इसरो ने जो साइट्स चुनी हैं वह ऐसी जगह पर हैं जहां से लैंडिंग के वक्त सूरज सही ऐंगल पर हो. इससे रोवर को बेहतर तस्वीरें लेने में मदद मिलेगी. इसरो के अनुसार चांद का दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र बेहद रुचिकर है क्योंकि यह उत्तरी ध्रुव क्षेत्र के मुकाबले काफी बड़ा है और अंधेरे में डूबा रहता है. इसरो के अनुसार लैंडर में तीन वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा, जबकि रोवर के साथ दो वैज्ञानिक उपकरण हैं जो चांद की सतह से संबंधित समझ में मजबूती लाने का काम करेंगे.