तीन बार 90 रन पर आउट होने के बाद शतक बनाना चाहता था: शुभमन गिल
पिछले कई मैचों में अपने पहले शतक से चूकने के बाद शुभमन गिल शानदार बल्लेबाजी करते हुए आखिरकार अपना पहला शतक बनाने में कामयाब रहे, जब उन्होंने सोमवार को हरारे स्पोर्ट्स क्लब में जिम्बाब्वे के खिलाफ तीसरे और अंतिम वनडे मैच में 130 रनों की शानदार पारी खेली.
हरारे, 23 अगस्त : पिछले कई मैचों में अपने पहले शतक से चूकने के बाद शुभमन गिल शानदार बल्लेबाजी करते हुए आखिरकार अपना पहला शतक बनाने में कामयाब रहे, जब उन्होंने सोमवार को हरारे स्पोर्ट्स क्लब में जिम्बाब्वे के खिलाफ तीसरे और अंतिम वनडे मैच में 130 रनों की शानदार पारी खेली. गिल ने कहा, "निश्चित रूप से यह शतक मेरे लिए विशेष है. पिच पर बल्लेबाजी अच्छी हो रही थी और इसलिए मैंने इसे अपने अर्धशतक के बाद शतक में बदला. शतक बनाना हमेशा विशेष होता है. मैं तीन बार 90 रन पर आउट होने के बाद शतक बनाना चाहता था."
सोमवार को गिल ने 97 गेंदों में 130 रन की पारी में चौके और एक छक्का लगाया और भारतीय टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे. गिल ने अपनी बल्लेबाजी रणनीति पर कहा, "मैं केवल अपने डॉट-बॉल प्रतिशत को कम करने की कोशिश कर रहा था. मैंने गेंद को समय पर हिट करने की कोशिश की और ज्यादा जोर से हिट करने की नहीं सोच रहा था. यह खिलाड़ियों की बड़ी टीम है और उनके साथ खेलकर अच्छा लग रहा है." यह भी पढ़ें : Mumbai: होटल को मिली बम से उड़ाने की धमकी, कॉल पर कहा- 4 जगहों पर रखें है बम
1998 में बुलावायो में सचिन तेंदुलकर के नाबाद 127 रन को पीछे छोड़ते हुए गिल जिम्बाब्वे में एक भारतीय बल्लेबाज द्वारा वनडे मैच में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बने. लेकिन प्लेयर ऑफ द मैच चुने गए गिल ने कहा कि उन्हें एक ऐसे दौर से गुजरना पड़ा, जहां जिम्बाब्वे के गेंदबाज बेहतरीन गेंदबाजी कर रहे थे.
उन्होंने कहा, "जब मैं मैदान पर आया, तो कुछ गेंदबाज अच्छी गेंदबाजी कर रहे थे. उनके खिलाफ खेलना आसान नहीं था. एक बार जब हम सेट हो गए, तो हमें पता था कि हम तेज गति से रन बनाने हैं. रजा, इवांस अच्छी गेंदबाजी कर रहे थे और गेंदबाजों पर हमला करना महत्वपूर्ण था."
गिल ने अपने प्लेयर ऑफ द सीरीज पुरस्कार को अपने पिता को समर्पित करते हुए कहा कि उन्हें तीन पारियों में 122.5 की औसत से 245 रन बनाए और वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे श्रृंखला के बाद उनका ऐसा दूसरा पुरस्कार अपने पिता लखविंदर सिंह को समर्पित करते हैं.