भारतीय क्रिकेट टीम को दो बार विश्वकप 2007 वर्ल्ड T20 और 2011 वनडे विश्वकप जिताने में अगर किसी ने सबसे बड़ा किरदार निभाया था, तो वह थे बाएं हाथ के बल्लेबाज़ गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) थे. 37 वर्षीय गौतम गंभीर ने 2007 वर्ल्ड T20 के फ़ाइनल में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जहां मैच जिताऊ 75 रनों की पारी खेली थी, तो 2011 वनडे विश्वकप के फ़ाइनल में कठिन परिस्थितियों में 273 रनों का पीछा करते हुए 97 रनों की बेमिसाल पारी खेली थी. गौतम गंभीर ने भारत के लिए 58 टेस्ट, 147 एकदिवसीय मैच और 37 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबला खेला है. गंभीर ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जीवन का आग़ाज़ 2003 में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच के साथ किया था. जिसके बाद उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और आख़िरी बार भारत की ओर से उन्हें इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 2016 में टेस्ट मैच में खेलने का मौक़ा मिला था.
युवराज सिंह:
गौतम गंभीर के बाद जिस खिलाड़ी के संन्यास की बात सबसे ज़्यादा हो रही है वह हैं बाएं हाथ के बल्लेबाज़ युवराज सिंह(Yuvraj Singh). गंभीर की ही तरह युवराज सिंह भी 2007 वर्ल्ड टी20 और 2011 वनडे विश्वकप में टीम इंडिया को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन पिछले कुछ समय से युवी का बल्ला भी शांत है. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट हो या घरेलू क्रिकेट सिक्सर किंग युवराज हर जगह निराश करते आ रहे हैं, बल्लेबाज़ी के साथ साथ युवराज की फ़िट्नेस भी अब सवालों के घेरे में है.
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हरभजन सिंह:
भारतीय क्रिकेट इतिहास के सर्वश्रेष्ठ ऑफ़ स्पिनर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh). 1998 में 18 साल की उम्र में टीम इंडिया के लिए पहला टेस्ट खेलने वाले हरभजन सिंह का करियर अब तक 20 सालों का हो गया है. 417 टेस्ट विकेट हासिल करने वाले भज्जी 38 बसंत पार कर चुके हैं, ऐसे में उनका संन्यास न लेना ही सभी को हैरान कर रहा है. हरभजन सिंह ने आख़िरी बार भारत के लिए 2016 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला था.