नई दिल्ली, 21 नवंबर: प्रशंसकों के लिए मैदान के अंदर और बाहर 'अच्छे लोगों' को भारतीय क्रिकेट का नेतृत्व करते देखना एक सपना था. यह अब एक वास्तविकता बनती नजर आ रही है. सौरव गांगुली(Sourav Ganguly), राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) और वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman) देश के क्रिकेट को अपनी-अपनी भूमिकाओं में नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. वर्षों से, प्रशंसकों ने भारतीय क्रिकेट के आसपास निम्न और उच्च, कई विवाद और अनावश्यक मुद्दे देखे हैं. क्रिकेट फैंस के लिए खुशखबरी, IPL 2022 का आयोजन भारत में होगा, बीसीसीआई सचिव जय शाह ने की पुष्टि
गांगुली, द्रविड़ और लक्ष्मण के एक साथ आने से खेल प्रेमियों में एक अलग सी खुशी या कह सकते हैं कि आत्मविश्वास बड़ा है और उन्हें लगता है कि भारतीय क्रिकेट सुरक्षित हाथों में है. 'है भगवान! क्रिकेटरों को अच्छी समझ दें'.साल 2000 में, ये पोस्टर दिल्ली की सड़कों पर काफी आम थे, खासकर तत्कालीन नामित फिरोज शाह कोटला स्टेडियम के पास. यह वह समय था जब भारतीय क्रिकेट अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रहा था. मैच फिक्सिंग कांड ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था. लोगों के दिलों पर राज करने वाले क्रिकेट के हीरो रातों-रात विलेन बन गए.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) बिखरा हुआ था और खोए हुए विश्वास और सम्मान को कैसे हासिल किया जाए, इस पर नियमित रूप से बैठकें हो रही थीं. ऐसे में सौरभ गांगुली नाम के एक शख्स ने कमान संभाली और भारतीय क्रिकेट की किस्मत ही बदल दी. गांगुली को टीम का कप्तान नियुक्त किया गया और उन्होंने भारत को उथल-पुथल से बाहर निकाला. एक ऐसी टीम बनाई जिसने दुनिया को स्तब्ध कर दिया। उस टीम ने न केवल घरेलू सरजमीं पर मैच जीते बल्कि यह विश्वास भी जगाया कि मेन इन ब्लू विदेशों में भी जीत सकता है.'दादागिरी' ने भारत को निडर बना दिया. वह लोगों की पसंद बन गए और जिन प्रशंसकों ने इस खेल को अनफॉलो कर दिया था, वे फिर से इस पर विश्वास करने लगे.
गांगुली की इस निडर सोच के सपने को साकार करने में राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की भूमिका भी बेहद अहम रही। सचिन तेंदुलकर तो पहले से थे ही. इस जोड़ी को भारतीय क्रिकेट इतिहास में फैबुलस-4 यानी कि फैब-4 कहा गया. इनमें से सचिन तेंदुलकर फिलहाल आईपीएल टीम मुंबई इंडियंस से जुड़े हैं जबकि फैब थ्री यानी गांगुली, लक्ष्मण और द्रवड़ि भारतीय क्रिकेट से जुड़ने के बाद टीम इंडिया को नए मुकाम तक ले जाने के लिए कमर कस चुके हैं.
दरअसल, अब इन्हीं तीन दिग्गजों के हाथ में भारतीय क्रिकेट की बागडोर आ गई है. जहां सौरव गांगुली मौजूदा समय में बीसीसीआई अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं वहीं राहुल द्रविड़ टीम इंडिया के हेड कोच के तौर पर अपनी नई पारी का शानदार आगाज कर चुके हैं. अब गांगुली ने खुद ही ऐलान कर दिया है कि वीवीएस लक्ष्मण बेंगलुरु स्थित नेशनल क्रिकेट एकेडमी यानी एनसीए के प्रमुख के तौर पर काम करेंगे. जल्द ही इसका भी औपचारिक ऐलान कर दिया जाएगा. यानी भारतीय क्रिकेट को अब गांगुली, द्रविड़ और लक्ष्मण की त्रिमूर्ति चलाएगी. ऐसे में इन तीनों के सामने भारतीय क्रिकेट को आगे लेकर जाने के रास्ते में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, ये भी आपको बताएंगे. साथ ही इन तीनों के मास्टरप्लान की जानकारी भी देंगे.
सौरव गांगुली: बेखौफ कप्तान, समझदार क्रिकेट प्रशासक
टीम इंडिया की कमान निडर होकर संभालने वाले सौरव गांगुली क्रिकेट प्रशासक के तौर पर भी लगातार एक्शन में नजर आए हैं. चाहे भारत के पहले पिंक बॉल टेस्ट मैच के आयोजन की बात हो या फिर घरेलू क्रिकेटरों की सैलरी का मुद्दा, उन्होंने बेहद सक्रियता के साथ फैसले लिए हैं. अब जब टीम इंडिया की बात आई तो उन्होंने विपरीत हालात के बावजूद राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज को भी हेड कोच बनने के लिए राजी कर लिया. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि गांगुली को द्रविड़ को मनाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी.
गांगुली जानते हैं कि द्रविड़ से बेहतर इस पद के लिए कोई इंसान नहीं हो सकता. इस फैसले से गांगुली ने एक तीर से कई निशाने दागे. एक तो ये कि विदेशी कोच की बजाय उन्होंने एक भारतीय कोच चुना जिससे टीम इंडिया सहज महसूस कर सके. दूसरा द्रविड़ की मौजूदगी का ये भी मतलब हुआ कि मिस्टर भरोसेमंद के बेमिसाल करियर के अनुभव का लाभ भी टीम इंडिया के क्रिकेटरों तक पहुंचाया जा सकेगा. वो करियर जिसमें बल्लेबाज के तौर पर असाधारण प्रदर्शन हुआ तो अंडर-19 और इंडिया ए के कोच के तौर पर मास्टरी भी शामिल रही.
राहुल द्रविड़: सहज इंसान, बेमिसाल रणनीतिकार
भारतीय टीम के हेड कोच के तौर पर राहुल द्रविड़ का आगाज न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 सीरीज जीत के साथ हुआ है. हालांकि द्रविड़ पहले इस पद को अपनाने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन फिर बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के समझाने पर मान गए. द्रविड़ के टीम इंडिया का हेड कोच बनने से भारतीय क्रिकेट की भी कई मुश्किलें आसान हुई है. एक तो राहुल एनसीएस अध्यक्ष, इंडिया ए और अंडर-19 टीम के कोच के तौर पर अधिकतर भारतीय खिलाड़ियों के साथ काम कर चुके हैं, या यूं कहें कि उन्होंने ही भारतीय युवा क्रिकेटरों की खेप तैयार की है. राहुल द्रविड़ ने जूनियर खिलाड़ियों के साथ काम करके उनके टैलेंट को और निखारा है.
शुभमन गिल, पृथ्वी शॉ, देवदत्त पडिक्कल, अर्शदीप सिंह, शिवम मावी, ऋतुराज गायकवाड़ ये सभी खिलाड़ी उन्हीं की कोचिंग में आगे बढ़े हैं. भारत की जूनियर टीमों के कोच रहने वाले द्रविड़ की शागिर्दी में भारत ने 2018 का अंडर-19 विश्व कप खिताब जीता था. वहीं भारत की ए टीम से भी कई खिलाड़ी संवरकर और सुधरकर सीनियर टीम में अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं, जिसका असर भारत की मजबूत बेंच स्ट्रेंथ के तौर पर पिछले 1-2 साल में देखने को मिला है. ऐसे में जबकि भारतीय क्रिकेट टीम के कई मौजूदा सदस्य कुछ साल में रिटायर होने की कगार पर पहुंच जाएंगे तो द्रविड़ को आगे जाकर उन्हीं खिलाड़ियों के साथ काम करना होगा जो उनकी देखरेख में युवा से परिपक्व हुए हैं. इस लिहाज से टीम इंडिया को एक साथ आगे ले जाने में मदद मिलेगी.
वीवीएस लक्ष्मण: दबाव में निखरने की कला
क्रिकेट खेलने के दौरान तो राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण का तालमेल विरोधियों पर कई बार भारी पड़ा है. यही वजह है कि द्रविड़ के टीम इंडिया के हेड कोच बनने के बाद जैसे ही नेशनल क्रिकेट एकेडमी के अध्यक्ष पद की जगह खाली हुई वैसे ही बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने लक्ष्मण को ये जिम्मेदारी देने की ठान ली. लक्ष्मण जल्द ही औपचारिक तौर पर एनसीए का अध्यक्ष पद संभाल लेंगे. लक्ष्मण दबाव में निखरने की कला जानते हैं और ऐसे में एनसीए में युवा क्रिकेटरों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने की अहम जिम्मेदारी उनके मजबूत और सक्षम कंधों पर होगी. दूसरी ओर, द्रविड़ और लक्ष्मण की समझ अच्छी है और ये टीम इंडिया और ठउअ के बीच सेतु का काम करेगा.