अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने हाल ही में एक नियम में बदलाव की घोषणा की है की वह 'सॉफ्ट सिग्नल' को खत्म करने जा रही है. अगले महीने लंदन में होने वाली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फाइनल से यह नियम लागू होने की उम्मीद है. यह नियम परिवर्तन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलों के खेलने की स्थिति से संबंधित है और लंबे समय से इस पर बहस भी छिड़ी हुई है. अब बहुत जल्द हम सभी को इस विवादास्पद सॉफ्ट सिग्नल नियम का अंत देखने को मिलेगा. यह भी पढ़ें: WTC Final Team India Squad: वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए टीम इंडिया का एलान,अजिंक्य रहाणे भारतीय टीम में वापसी
क्या होता है सॉफ्ट सिग्नल नियम
अक्सर आप जब भी टीवी पर कोई क्रिकेट मैच देखते है तो कई तरह के क्लोज़ कैच या पेचीदा विकेट को लेकर स्थिति साफ नहीं होती है, तो मैदानी अंपायर तीसरे अंपायर से उसे दोबारा चेक करने को कहता है. हालांकि, तीसरे अंपायर से पहले मैदानी अंपायर को अपने सहयोगी अंपायर से बातचीत करके अपना निर्णय लेना होता है उसके बाद तब वह फैसला आगे की ओर जाता है और इसे ही सॉफ्ट सिग्नल नियम कहते हैं. इसके बाद टीवी अंपायर (3rd Umpire) कई एंगल से उसे देखता है और जब उसे ठोस सबूत मिल जाता है तो वो मैदानी अंपायर के फैसले को पलट देता है. लेकिन कभी कभी टीवी अंपायर को पर्याप्त सबूत नहीं मिलते हैं, तब ऐसे स्थिति में टीवी अंपायर मजबूरन मैदानी अंपायर के फैसले को ही मान लेता है.
इसे जुड़े विवाद
सॉफ्ट सिग्नल नियम को लेकर इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया-दक्षिण अफ्रीका टेस्ट सीरीज के दौरान मार्नस लेबुस्चगने के एक विवादास्पद फैसले के बाद इस नियम के खिलाफ बात की थी. बेन स्टोक्स ने कहा था: “आईसीसी को सॉफ्ट सिग्नल से छुटकारा पाना चाहिए और तीसरे अंपायर को फैसला करना चाहिए, जो सारी तकनीकों से लैस है, जब ऑन-फील्ड अंपायर इसे ऊपर भेजते हैं, तो सारा विवाद हमेशा दिए गए सॉफ्ट सिग्नल पर आकर रुक जाता है. यह FYI (sic) के निर्णय पर टिप्पणी नहीं है.