रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) के फैंस कर्नाटक सरकार के आरक्षण वाले विवादास्पद बिल पर सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस सरकार ने ऐलान किया था कि नौकरी के लिए प्राइवेट कंपनियों में लोकल लोगों को 100 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. हालांकि विवाद के बाद सरकार ने प्राइवेट कंपनियों में आरक्षण वाले बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
वहीं दूसरी तरफ इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) फ्रैंचाइज़ी के समर्थकों में इस बिल को लेकर हलचल देखी गई. यह नया कानून व्यापार समुदाय को पसंद नहीं आया है. आरसीबी फैंस के लिए बड़ा सवाल यह है कि क्या यह बिल उनकी फेवरेट टीम को प्रभावित करेगा.
आपको बता दें कि IPL फ्रैंचाइजी कर्नाटक में संचालित एक निजी संस्था होने के नाते नए आरक्षण कानून के अधीन हो सकती है. जिसकी वजह से टीम में खिलाड़ियों के सेलेक्शन पर प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि, इस कानून के तहत खेल फ्रैंचाइज़ी का कैसे व्यवहार किया जाएगा, इसके बारे में स्पष्टता अभी भी नहीं है.
100% reservation applied to RCB also😭😭😭#Karnataka #Bangalore #kanadigas pic.twitter.com/bOmbeXsSl1
— Ashish Paingankar 𝕏 (@_paingankar_) July 17, 2024
जनता का विरोध और ऑनलाइन बवाल
बिल लाए जाने से न केवल व्यापार क्षेत्र में प्रतिक्रिया हुई है बल्कि सोशल मीडिया पर भी हंगामा मच गया है. नेटिजन्स कांग्रेस सरकार को ट्रोल कर रहे हैं. बिल के राज्य के व्यावसायिक माहौल पर संभावित प्रभाव की आलोचना कर रहे हैं और इसकी व्यावहारिकता पर सवाल उठा रहे हैं.
Just wondering, how much percentage of reservation for local Kannada players in RCB? 😂🤣#Karnataka #RCB #Kannadigas #Reservation #PrivateSectors #ViratKohli pic.twitter.com/WbmwKqNuUg
— Sann (@san_x_m) July 17, 2024
यूजर्स के सवाल
It’s a sensitive topic, but just a question …
Considering RCB is a private body, will RCB also have 50-75% local kannadiga reservation ?
If yes, will Virat get a seat in the team?#Karnataka
— Vineeth K (@DealsDhamaka) July 17, 2024
Is this 70% reservation policy applicable for RCB team as well?
Karnataka #Kannadigas Bangalore
— Neha Singhal Trader (@nsinghal211) July 17, 2024
अन्य राज्यों में इसी तरह के कदम
कर्नाटक का यह बिल हरियाणा सरकार के एक समान प्रयास की तरह है, जिसने राज्य के निवासियों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण की आवश्यकता वाले एक बिल को पेश किया था. इस बिल को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा और बाद में 17 नवंबर, 2023 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया. कर्नाटक के बिल का भाग्य अनिश्चित है, और इसकी संभावित कानूनी लड़ाई काफी ध्यान खींचने वाली है.
बड़े व्यापारिक नेताओं और तकनीकी उद्योग के दिग्गजों ने भी इसका विरोध करते हुए तर्क दिया है कि ऐसा बिल कर्नाटक में निजी उद्यमों की लचीलापन और परिचालन दक्षता को बाधित कर सकता है.