'महिला की पहचान शादी से नहीं', विधवा को मंदिर में घुसने से रोकने पर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी
अदालत ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की, जिसमें इरोड जिले में एक मंदिर में जाने और कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की गई थी.
मद्रास हाई कोर्ट ने विधवा महिलाओं के मंदिरों में प्रवेश पर रोक लगाने वाली प्रथाओं पर कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि किसी भी सभ्य समाज में ये इस तरह की परंपराएं नहीं हो सकती हैं. अदालत ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की, जिसमें इरोड जिले में एक मंदिर में जाने और कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की गई थी.
महिला ने बताया कि उनके पति मंदिर में पुजारी थे, जिनकी मृत्यु हो गई थी. उन्होंने आगे बताया कि वह अपने बेटे के साथ मंदिर के उत्सव में हिस्सा लेने और पूजा करना चाहती थीं, लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें रोक दिया. उनसे कहा गया कि वे विधवा होने के चलते मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं. इसके साथ ही महिला ने आगामी 9 और 10 अगस्त को मंदिर में होने वाले उत्सव में हिस्सा लेने के लिए सुरक्षा की मांग की.
पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा, ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस राज्य में यह पुरानी मान्यताएं कायम हैं कि यदि कोई विधवा मंदिर में प्रवेश करती है तो इससे वहां अपवित्रता हो जाएगी. हालांकि इन सभी मूर्खतापूर्ण मान्यताओं को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, फिर भी कुछ गांवों में इसका अभ्यास जारी है.
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