जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने हाल ही में फैसला सुनाया कि बड़े पैमाने पर जनता द्वारा मारे गए आतंकवादी के अंतिम संस्कार की प्रार्थना को उस परिमाण की राष्ट्र विरोधी गतिविधि नहीं माना जा सकता है जो उन्हें उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित करती है जैसा कि अनुच्छेद 21 के तहत गारंटी है. जस्टिस अली मोहम्मद माग्रे और एमडी अकरम चौधरी की पीठ विशेष न्यायाधीश अनंतनाग (गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के लिए नामित न्यायालय) द्वारा 11 फरवरी, 2022 और 26 फरवरी, 2022 को पारित आदेशों को चुनौती देने वाली सरकार द्वारा दायर दो अपीलों पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दो अलग-अलग आवेदनों में प्रतिवादियों के पक्ष में जमानत दी गई.
देखें ट्वीट:
Offering Funeral Prayers Of A Killed Militant Cannot Be Construed To Be An Anti-National Activity: J&K&L High Court @BasitMakhdoomi https://t.co/1C3bYPXWsP
— Live Law (@LiveLawIndia) September 8, 2022
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