केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2023 पर कहा, "1980 के दशक के बाद आतंकवाद का दौर आया और वह बड़ा भयावह दृश्य था. जो लोग इस ज़मीन को अपना देश समझकर रहते थे, उन्हें बाहर निकाल दिया गया और किसी ने उनकी परवाह नहीं की. जिन लोगों पर इसे रोकने की ज़िम्मेदारी थी वे इंग्लैंड में छुट्टियों का आनंद ले रहे थे...जब कश्मीरी पंडितों को विस्थापित किया गया, तो वे अपने देश में शरणार्थी के रूप में रहने को मजबूर हो गए. वर्तमान आंकड़ों के अनुसार लगभग 46,631 परिवार और 1,57,968 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए. यह विधेयक उन्हें अधिकार दिलाने के लिए है, यह विधेयक उन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए है." अमित शाह ने कहा कि नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उसका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा. पहली और सबसे बड़ी गलती- जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही सीजफायर कर दिया गया और पीओके का जन्म हुआ. अगर सीजफायर तीन दिन बाद होता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता. दूसरा- यूएन में भारत के आंतरिक मसले को ले जाने की गलती की.

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