सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ अपील खारिज कर दी, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग की योनि में उंगली डालने को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम POCSO अधिनियम के तहत निजी अंगों में 'प्रविष्टि' का कार्य नहीं माना जाता है.

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