दूसरे धर्म के लोगों को मंदिर में प्रवेश न दिए जाने की मांग वाली एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मद्रास हाई कोर्ट ने यह कहा है कि अगर किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति की हिंदू देवी-देवताओं में आस्था है तो उसे मंदिर में प्रवेश देने से नहीं रोका जा सकता है. इस पीआईएल (PIL) की सुनवाई न्यायमूर्ति पीएन प्रकाश और न्यायमूर्ति आर हेमलता की खंडपीठ कर रही थी, जिसमें मांग की गई थी कि गैर-हिंदुओं को तिरुवत्तर (Thiruvattar) में अरुल्मिघू आदिकेसव पेरुमल थिरुकोविल (Arulmighu Adikesava Perumal Thirukovil) के कुंभबीशेगम उत्सव (Kumbabishegam Festival) में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
इस मुद्दे से निपटने के दौरान कोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जन्म से ईसाई डॉ. के जे यसुदास के विभिन्न देवी-देवताओं पर बनाए भक्ति गीतों को मंदिरों, नागौर दरगाह और वेलंकन्नी चर्च में बिना किसी आपत्ति के बजाए जाते हैं. ऐसे में जब किसी मंदिर में कुंभबीशेगम जैसा सार्वजिनक उत्सव मनाया जाता है तो अधिकारियों के लिए मंदिर में प्रवेश देने की अनुमति देने के उद्देश्य से हर भक्त की धार्मिक पहचान की जांच करना असंभव होगा, इसलिए अगर कोई दूसरे धर्म से संबंधित व्यक्ति एक विशेष हिंदू देवता में विश्वास रखता है, जिसे रोका नहीं जा सकता है और न ही किसी मंदिर में उसके प्रवेश को प्रतिबंधित किया जा सकता है.
देखें ट्वीट-
Person belonging to another religion cannot be prevented entry into temple if he has faith in that Hindu deity: Madras High Court
report by @tiwari_ji_ https://t.co/7Kc90IxPqB
— Bar & Bench (@barandbench) July 9, 2022
(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)