उड़ीसा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को यौन उत्पीड़न मामले में बरी करते हुए कहा कि पीड़िता का यह दावा कि उसने यौन कृत्य के लिए सहमति नहीं दी थी, "आरोपी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है". उच्च न्यायालय ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोप में लगभग 10 साल से जेल में बंद 45 वर्षीय व्यक्ति को बरी कर दिया. अदालत ने यह भी पाया कि पीड़िता का बयान रिकॉर्ड पर उपलब्ध कराए गए सबूतों से मेल नहीं खाता.

फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति एसके साहू ने कहा कि मामले के रिकॉर्ड से ऐसा प्रतीत होता है कि लड़की हर दिन आरोपी के साथ यौन संबंध बनाने के लिए उसके साथ जंगल में जाती थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक घटना के वक्त पीड़िता 17 साल की थी. अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता को पता था कि आरोपी शादीशुदा है और उसके चार बच्चे हैं.

(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)