यूपी के गाजियाबाद का रहने वाला एक युवक ने आरोप लगाया है कि यात्रा के दौरान ट्रैफिक पुलिस वालों ने उसकी कार रोकने के बाद गाड़ी के पेपर दिखाने को कहा. उनके कहने पर उसने डिजिलॉकर (Digilocker) में कागज दिखाया. लेकिन ट्रैफिक पुलिस वाले उसे नहीं माने और बदले में 7500 हजार रुपये का चालान काट दिए. बदले में वह पुलिस स्टेशन में इस मामले में शिकायत दर्ज करवाने गया तो उसकी शिकायत भी नहीं ली गई. वहीं इस मामले में भारत सरकार की तरह से सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कहा है कि डिजिलॉकर पर उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों को कानूनी रूप से 2000 के आईटी अधिनियम के तहत वैध प्रमाण दस्तावेजों के रूप में मान्यता प्राप्त है. इस परिपत्र के तहत, ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) और ले जाने की कोई आवश्यकता नहीं होगी.

Tweet:

(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)