Ayodhya Ram Mandir Singhdwar: अयोध्या की आत्मा में बसने वाले श्रीराम लला के भव्य मंदिर के निर्माण में एक और ऐतिहासिक पल जुड़ गया है. मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार, सिंहद्वार, की पहली तस्वीर सामने आई है, जो न सिर्फ भव्य है बल्कि आस्था को और भी प्रबल करती है.
इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि सीढ़ियों के दोनों ओर चार शक्तिशाली शेर विराजमान हैं, जो मंदिर में आने वाले भक्तों का स्वागत करने को तैयार खड़े हैं. इन सिंह प्रतिमाओं का निर्माण बेहद ही कलात्मक ढंग से किया गया है, जो न सिर्फ शक्ति और गरिमा का प्रतीक हैं बल्कि भक्तों के मन में श्रद्धा का संचार करती हैं.
श्री राम जन्मभूमि मंदिर का भव्य सिंहद्वार
The Magnificent Sinh Dwar of Shri Ram Janmbhoomi Mandir.
📍Ayodhya pic.twitter.com/1BhjPpJh2N
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) January 4, 2024
यह सिंहद्वार मंदिर की भव्यता और आध्यात्मिकता को और भी बढ़ा देता है. मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है और अब 22 जनवरी को श्रीरामलला का विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा किया जाएगा. यह पल सिर्फ अयोध्या के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है. सदियों के संघर्ष के बाद भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है, जिसे लेकर देशवासियों में अपार हर्ष व्याप्त है.
अयोध्या में राम मंदिर की विशेषताएं
- परम्परागत नागर शैली में निर्माण
- लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट, ऊंचाई 161 फीट
- तीन मंजिला, प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट
- कुल 392 खंभे व 44 द्वार
- मुख्य गर्भगृह में श्रीरामलला सरकार का विग्रह
- प्रथम तल पर श्रीराम दरबार
- 5 मंडप: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप
- खंभों व दीवारों में देवी देवता व देवांगनाओं की मूर्तियां
- पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से प्रवेश
- दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए रैम्प व लिफ्ट
- चारों ओर आयताकार परकोटा, कुल लंबाई 732 मीटर, चौड़ाई 14 फीट
- परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित मंदिर
- उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर
- समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान
- प्रस्तावित अन्य मंदिर: महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज,
- माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या
- नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार, जटायु प्रतिमा की स्थापना
- लोहे का प्रयोग नहीं, धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं
- मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी RCC, कृत्रिम चट्टान का रूप
- मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई
- स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था व स्वतंत्र पॉवर स्टेशन
- 25 हजार क्षमता वाला दर्शनार्थी सुविधा केंद्र, लॉकर व चिकित्सा की सुविधा
- स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा
- भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से निर्माण
- पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान
- कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा
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