एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एक 14 वर्षीय लड़की, जो अब उसकी पत्नी है के साथ यौन संबंध बनाने के दोषी व्यक्ति पर सजा नहीं लगाई. पश्चिम बंगाल में अपने बच्चे के साथ रहने वाले दंपति, 2018 के एक मामले के केंद्र में थे, जहां लड़की के लापता होने की सूचना मिली थी और बाद में उसकी शादी 25 वर्षीय व्यक्ति से हो गई थी. POCSO अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गए और 20 साल की सजा सुनाई गई, बाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने विवादास्पद रूप से उस व्यक्ति को बरी कर दिया. यह भी पढ़ें: ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स पर लगेगा बैन? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस, प्रचार करने वाले एक्टर्स और क्रिकेटर्स भी निशाने पर

सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में बरी करने के फैसले को पलट दिया, लेकिन मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन का निर्देश देते हुए सजा पर रोक लगा दी. विशेषज्ञ पैनल ने पाया कि पीड़िता भावनात्मक रूप से आरोपी से जुड़ी हुई थी और उसे कृत्य की तुलना में कानूनी प्रक्रिया से अधिक नुकसान हुआ था. प्रणालीगत विफलताओं और परिवार इकाई को संरक्षित करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए, शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि इस जटिल, संवेदनशील मामले में कारावास न्याय नहीं करेगा.

नाबालिग के साथ बलात्कार मामला

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