इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक टाइम मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि "एक जीवन साथी की पसंद, यौन संबंध (Sex) और प्यार पाने की इच्छा और दो सहमति वाले वयस्कों के बीच मानवीय संबंधों में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है.

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में एक अहम फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कहा था कि शादी का झूठा वादा कर यौन संबंध बनाना कानून में रेप का अपराध होना चाहिए. जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की सिंगल बेंच ने कहा, महिलाएं आनंद की वस्तु हैं, पुरुष वर्चस्व की इस मानसिकता से सख्ती से निपटना होगा ताकि महिलाओं में सुरक्षा की भावना आए. कोर्ट ने महिलाओं के यौन उत्पीड़न के इस तरह के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि अपराधी समझता है वह कानून का फायदा उठाकर बच जाएगा.

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