महाराष्ट्र के बीड जिले में सूखे की वजह से गरीबी बहुत है. महिलाओं को गन्ने की कटाई के लिए दूसरों के खेतों में काम करना पड़ता है. काम के लिए उन्हें गांव से बाहर भी जाना पड़ता है. मजदूर महिलाओं को लगातार काम मिलता रहे और उन पर जुर्माना न लगे, इसलिए वो अपना गर्भाशय निकलवा देती हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस बारे में महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को नोटिस जारी की है. इस नोटिस के मुताबिक महाराष्ट्र के बीड़ जिले की महिलाएं अपने गर्भाशय को निकलवा (Hysterectomies) रही हैं, सिर्फ इसलिए ताकी उनका काम प्रभावित ना हो और वो मासिक धर्म पर लगने वाले जुर्माने से बच सकें. इस नोटिस में महिला आयोग ने इस मामले में जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की है ताकि महिलाएं उत्पीड़न से बच सके.
यहां दो या तीन बच्चों के बाद महिलाएं अपना गर्भाशय निकलवा देती हैं, ताकि उनका मासिक धर्म बंद हो जाए. यहां की महिलाओं का मानना है कि मासिक धर्म की वजह से उनके काम पर असर पड़ता है और उन पर जुर्माना भी लगता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के हाजीपुर में गन्ने की फसल की कटाई महिलाएं मजदूर भी करती हैं. फसलों की कटाई के लिए ठेकेदार बिना गर्भाशय वाली महिलाओं को ही रखते हैं. उनके अनुसार बिना गर्भाशय वाली महिलाओं को मासिक धर्म नहीं होता इसलिए वो छट्टियां कम लेती है. गन्ने की कटाई के लिए खेतों में जो पति पत्नी एक साथ काम करते हैं उन्हें एक यूनिट माना जाता है, इसमें से अगर कोई भी छुट्टी लेता है तो उन्हें ठेकेदार को 500 रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ता है. यहां के एक ठेकेदार का कहना है कि गर्भाशय निकालने के लिए महिलाओं पर कोई जोर जबरदस्ती नहीं की जाती है. ऐसा वो अपनी मर्जी से करती हैं. गन्ने की कटाई के लिए हमें टार्गेट दिया जाता है. इसलिए हम काम समय पर पूरा कराने के लिए बिना गर्भाशय वाली महिलाओं को ही काम देते हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं अपना गर्भाशय निकलवाने के लिए ठेकेदार से लोन लेती हैं और धीरे-धीरे उनके पैसे चुकाती हैं. महाराष्ट्र की एक संस्था के अनुसार बड़ी उम्र की महिलाओं के साथ-साथ 25 और उससे कम उम्र की महिलाएं भी अपना गर्भाशय निकलवा रही हैं. इसका उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है.