Rajasthan: राजस्थान के दो युवा एलोवेरा से बना रहे हैं बैटरी, विश्व स्तर पर पुरस्कृत है इनका स्टार्टअप
एलोवेरा (Photo Credits: Pixabay)

राजस्थान, 5 जनवरी : मनुष्य के नवाचार की कोई सीमा नहीं है. अपनी बुद्धि के बल पर मनुष्य जहाँ कठिन गुत्थियां सुलझा लेता है, वहीं उसके नवोन्मेष से पृथ्वी पर जीवन सुगम होता है. कुछ भी नया रचने की प्रेरणा मनुष्य को तब मिलती है, जब उसे उस वस्तु की आवश्यकता होती है या किसी समस्या को सुलझाने की ओर उसकी दृष्टि पड़ती है. आज राजस्थान के ऐसे दो युवाओं से आपका परिचय करवाते हैं, जिन्होंने ई-अपशिष्ट से हो रहे प्रदूषण को कम करने के लिए एलोवेरा से बैटरी का निर्माण किया.

निमिषा और नवीन एलोवेरा से बना रहे बैटरी

रेतीले राजस्थान में एलोवेरा (घृतकुमारी) बहुतायात में पाया जाता है. औषधीय गुणों से युक्त एलोवेरा लाभकारी तो है ही, पर आश्चर्य यह है कि इस एलोवेरा के सहारे बैटरी बनाई जा सकती है. राजस्थान के दो युवाओं निमिषा और नवीन ने एलोवेरा के सहारे बैटरी का निर्माण किया है. ई-अपशिष्ट को कम किया जा सके इसीलिए प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करके, वे बैटरी का निर्माण कर रहे हैं.

क्या है ई-अपशिष्ट

ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जो पुराने हो गए और किसी काम में नहीं आते उन्हें ई-अपशिष्ट कहा जाता है. इसमें पारा, सीसा, कैडमियम, जैसे विषाक्त पदार्थ होते हैं जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होते हैं. समावेशी विकास का स्वप्न संजोये इन युवाओं ने विकल्प के रूप में बैटरी बनाने में एलोवेरा का प्रयोग किया. बैटरी का नाम ALOE बैटरी है. यह भी पढ़ें :पेट की सभी बीमारियों का अचूक इलाज है एलोवेरा जूस, जानिए इसके फायदे

क्या है बैटरी की विशेषता

एलोवेरा से बनी यह बैटरी अद्भुत है. एक किलोग्राम एलोवेरा की सहायता से 125 बैटरियों का निर्माण किया जा सकता है. AlOE बैटरी किसानों के लिए लाभकारी है, टॉर्च में इसका उपयोग किया जाता है. बैटरियों का इस्तेमाल, घड़ी, रिमोट और खिलौनों में भी किया जा सकता है.

आम बैटरी से कैसे अलग है ALOE बैटरी

आम बैटरी से इतर यह ALOE बैटरी पूरी तरह इकोफ्रेंडली है. ड्राई बैटरी बनाने में काम आने वाली 97 फीसदी सामग्री आयात करनी पड़ती है. आम तौर पर बैटरियों में 20-30% क्षमता रहने के बावजूद भी बैटरियों को उपयोग में नहीं लाया जाता, जिससे इन फेंकी हुई बैटरियों में विस्फोट हो सकता है. पुरानी बैटरियों का ढेर लैंड फिल्स के माध्यम से भूमि और वायु को प्रदूषित करता है. एक अध्ययन के मुताबिक भारत में हर वर्ष 2 मिलियन मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है और इसमें से 82% ई-अपशिष्ट की श्रेणी में आता है. इससे कई गम्भीर बीमारियां हो सकती हैं. एलोवेरा से बनी बैटरी आम बैटरियों की तुलना में सस्ती और दमदार है. यह भी पढ़ें : Best Drinks for Sexual Stamina: ये 5 ड्रिंक्स आपकी सेक्सुअल स्टैमिना को बूस्ट करेंगे

इस नवाचार के लिए नवीन और निमिषा को मिल चुके हैं कई पुरस्कार

ALOE बैटरी जैसे शानदार नवाचार के लिए नवीन और निमिषा को वैश्विक स्तर पर पुरस्कृत किया गया है. दोनों ही युवाओं को साल 2019 में स्पेन में ग्लोबल ग्रीन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है. यह मुकाबला काफी कड़ा था. दुनिया भर के 2800 से भी अधिक नवाचारों के बीच में नवीन और निमिषा के ALOE बैटरी को पुरस्कृत किया गया. इस जोड़ी को नेशनल स्टार्टअप अवार्ड भी मिला है जिसमें पांच लाख रुपए की पुरस्कार राशि थी. खास बात यह है कि उपलब्धियों को हासिल करने वाले ये दोनों ही युवा सामान्य पृष्ठभूमि के हैं. नवीन तो अपने परिवार के पहले स्नातक इंजीनियर हैं. लगन, मेहनत और कुछ हटकर सोचने की काबिलियत ही नवीन और निमिषा की सफलता का राज है. अब इन्होंने अपने ALOE बैटरी को पेटेंट कराने के लिए भी अर्जी दे दी है.