रांची: आज के इस मॉडर्न दौर में प्रेमी-प्रेमिका के लिव-इन रिलेशन (Live in Relation) में रहने का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है. शादी के बंधन में बंधने और परिवार की जिम्मेदारियों से बचने के लिए ज्यादातर युवा लिव-इन रिलेशन में रहना पसंद करने लगे हैं. आमतौर पर इस तरह के रिश्तों के पनपने की गुंजाइश बड़े शहरों में ज्यादा होती है, लेकिन झारखंड (Jharkhand) से एक दिलचस्प और अनोखा लिव-इन रिलेशन का वाकया सामने आया है. जहां 22 सालों तक लिव-इन रिलेशन में रहने वाले एक कपल (Couple) ने अपने रिश्ते को नाम देने का फैसला किया और बेटे-बहू व छोटी सी पोती के सामने सात फेरे लेकर हर किसी को हैरत में डाल दिया.
दरअसल, झारखंड की राजधानी रांची में एक सामूहिक विवाह समारोह (Samuhik Vivah Ceremony) में लिव-इन में रह चुके कई कपल्स ने सात फेरे लिए, जिसमें एक कपल (Aadivasi Couple) ऐसा भी था, जिसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. 55 वर्षीय रामलाल मुंडा पिछले 22 सालों से 45 वर्षीय सहोदरी देवी के साथ लिव इन में रह रहे थे. रामलाल आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, बगैर शादी किए वो सहोदरी के साथ गुमला नामक स्थान पर रहते थे. लोगों ने जब दोनों के रिश्ते पर आपत्ति जताई तो दोनों घाघरा आकर रहने लगे.
लिव-इन में साथ रहते हुए उन्होंने एक बेटे को भी जन्म दिया और जब उनका बेटा जीतेश्वर 19 साल का हुआ तब उसे एक 19 वर्षीय युवती से प्यार हो गया. प्यार का इजहार करने के बाद माता-पिता की तरह उनका बेटा जीतेश्वर भी अपनी प्रेमिका के साथ लिव-इन में रहने लगा और बगैर शादी के इन दोनों की एक बेटी हुई. यह भी पढ़ें: सावधान!!! यहां लड़कियां कर देती हैं लड़को का रेप, डरते हैं यहां युवा
बताया जा रहा है कि 55 वर्षीय रामलाल मुंडा को जब यह पता चला कि लिव-इन में रहने वाले लोगों के लिए रांची में सामूहिक विवाह का आयोजन किया जा रहा है तो वो अपनी पार्टनर सहोदरी, अपने बेटे-बहू और पांच महीने की पोती को लेकर समारोह में पहुंच गए. जहां उन्होंने अपने बेटे-बहू और पोती की मौजूदगी में सहोदरी के साथ शादी की.
गौरतलब है कि यहां रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों में जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है वो लिव-इन रिलेशन जैसे बेनाम रिश्ते को जन्म देने पर मजबूर हो जाते हैं. गरीबी और मजबूरी के चलते दशकों से इस समाज के महिला-पुरुष बिना शादी किए पति-पत्नी की तरह जिंदगी जीते हैं. ये लोग साथ मिलकर अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का वहन भी करते हैं, लेकिन समाज में उनके रिश्ता आज भी बेनाम ही माना जाता है.