Video: जापान का ऐसा वीरान गांव जहां नहीं है एक भी बच्चा, यहां रहते हैं सिर्फ 27 लोग, पुतलों की मदद से करते हैं अपना अकेलापन दूर
27 लोगों की आबादी वाला जापान का नागोरो गांव (Photo credits: Instagram)

टोक्यो: जापान (Japan) दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जिसे उगते सूर्य का देश कहा जाता है. यह देश 6800 से भी ज्यादा द्वीपों का एक समूह है. जापान की राजधानी टोक्यो (Tokyo) जनसंख्या के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा और दूसरा महंगा शहर है. यहां करीब 3.5 करोड़ लोग रहते हैं, लेकिन इसी देश में एक गांव ऐसा भी है जिसकी कुल आबादी महज 27 लोगों की है. दरअसल, पश्चिमी जापान के शिकोकू टापू पर बसा नागोरो गांव (Nagoro Village) में सिर्फ 27 लोग रहते हैं और इस गांव के सबसे छोटे इंसान की उम्र 55 साल बताई जाती है. इस वीरान गांव में एक भी बच्चा नहीं है, ऐसे में अपने अकेलेपन और गांव के सूनेपन को दूर करने के लिए लोग पुतलों (Mannequin) का सहारा लेते हैं.

यहां लोग अपना अकेलापन दूर करने के लिए घरों के बाहर पुतले रखते हैं. 27 लोगों के इस गांव में 270 पुतले हैं जो गांव के सूनेपन को दूर करने की कोशिश करते हैं. बताया जाता है कि इस गांव में रहने वाली 69 साल की सुकिमी आयनो नाम की एक महिला ने 16 साल पहले इंसानो जितने बड़े पुतले बनाने की शुरुआत की थी.

पुतले के साथ महिला- 

इस महिला ने जब पहला पुतला बनाया तो उसे अपने पिता के कपड़े पहना दिए. इन पुतलों की मदद से सुकिमी न सिर्फ अपने सूनेपन को दूर करती हैं, बल्कि इनकी मदद से अपने बगीचे के पौधों की देखभाल भी करती हैं. इन पुतलों  को वो अपने बगीचे में रखती हैं जिससे कोई पक्षी उनकी फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाता है.

इंसानों की तरह बैठे हुए पुतले- 

सुकिमी का कहना है कि वो इन पुतलों को तैयार करने के लिए लकड़ी की डंडियों का इस्तेमाल करती हैं. अखबारों से उनके शरीर को भरती हैं. इलास्टिक और फैब्रिक से स्किन बनाती हैं और ऊन से बालों को तैयार करती हैं. ये पुतले इंसानों की तरह दिखाई दें इसके लिए गालों और होंठों को गुलाबी रंग से रंग देती हैं. यह भी पढ़ें: जर्मनी: डिलीवरी के बाद खुशी-खुशी घर लौट रहे माता-पिता बच्चे को टैक्सी में भूले

देखें वीडियो-

बताया जाता है कि इस गांव के लोग शहरों में पलायन कर गए. यहां कोई भी बच्चा नहीं और यहां के सबसे छोटे आदमी की उम्र 55 साल है. ऐसे में गांव में करीब 270 पुतलों को हर गली के कोने और घरों के बाहर रखा जाता है, ताकि इससे गांव का सूनापन दूर हो सके.