भूत, प्रेत, आत्मा एवं पुनर्जन्म जैसी बातों को लेकर आम लोगों में तमाम तरह की धारणाएं हैं. कोई इसे सच मानता है तो कोई भ्रम से ज्यादा कुछ नहीं. जहां तक पुनर्जन्म की बात है तो इसे भी मानने वालों की संख्या कम नहीं है. सबके अपने अपने तर्क हैं. इस्लाम, ईसाई एवं यहूदी धर्म से जुड़े लोग पुनर्जन्म की सच्चाई पर यकीन नहीं करते इसके विपरीत हिंदू, बौद्ध, जैन धर्म के लोग पुनर्जन्म पर पूरा यकीन करते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य मरने के पश्चात केवल देह त्यागता है, उसकी आत्मा दूसरे के शरीर में प्रवेश करती है. क्या वाकई पुनर्जन्म जैसी बातों पर यकीन किया जा सकता है. इस पर हुए शोध, आध्यात्म एवं विज्ञान क्या कहता है, आइए जानते हैं.
क्या कहता है शोध
पुनर्जन्म विषय पर देश विदेश में कई शोध हुए और अभी भी हो रहे हैं. अब तक हुए शोधों में दो शोधों का जिक्र हम यहां करेंगे. प्रथम शोध के अनुसार अमेरिका की वर्जीनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. इयान स्टीवेन्सन ने 40 साल के शोध के पश्चात पुनर्जन्म पर एक पुस्तक लिखी थी ‘रिइंकार्नेशन एंड बायोलॉजी' (Reincarnation and Biology). दूसरा शोध बंगलुरु की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसीज में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के रूप में कार्यरत डॉ सतवंत पसारिया द्वारा किया गया. इन्होंने भी‘श्क्लेम्स ऑफ रिइंकार्नेशनरू एम्पिरिकल स्टी ऑफ केसेज इन इंडिया’ नामक पुस्तक लिखी है. इसमें 1973 के बाद से भारत में हुई पांच सौ पुनर्जन्म की घटनाओं का तथ्यों के साथ उल्लेख है. इसी तरह गीताप्रेस गोरखपुर ने भी अपनी एक पुस्तक ‘परलोक और पुनर्जन्मांक’ में इस तरह की कई सच्ची घटनाओं का उल्लेख किया है.
क्या कहता है विज्ञान
प्रारंभ में विज्ञान भी पुनर्जन्म को महज अंधविश्वास मानता था, लेकिन विदेशों में भी ऐसी कुछ सच्ची घटनाओं को साक्षात स्वरूप में देखने के बाद वैज्ञानिकों को इस विषय पर शोध करना पड़ा. आज विज्ञान पुनर्जन्म को तो सच के आइने से देखता है, किंतु इसमें निहित प्रश्नों क्यों और कैसे का जवाब अभी वह भी नहीं ढूंढ सका है. इस तरह फिलहाल पुनर्जन्म के पीछे की सच्चाई को सिर्फ धर्म की नजरों से ही देखा जा सकता है. जिसमें ‘कब क्यों और कैसे’ का जवाब है. धर्म आत्मा और उसके कर्मों के लेखा जोखा की बात करता है. इसीलिए कहा जाता है कि इंसान को सदा नेक काम करना चाहिए, ताकि अगले जन्म को सुधारा जा सके.
पुनर्जन्म पर हिंदू धर्म का मत
हिंदू धर्म में मान्यता में इसे सच मानता है. व्यक्ति कई बार ऊपर वाले की गल्ती से समय से पहले मृत्यु आ जाती है, जब उसके कर्मों का आंकड़ा शुरू होता है तब पता चलता है कि उसे तो समय से पहले बुला लिया गया है. इसके पश्चात उसकी आत्मा को पुनः धरती पर भेजा जाता है, किंतु पृथ्वी पर उस आत्मा को अगर शरीर नहीं मिलती तो वह आत्मा भटकने लगती है. इस मुद्दे पर आत्मा और उस शरीर की कोई गलती नहीं होती. तब इस तरह के मामले में उस आत्मा को नया शरीर दिया जाता है, उसकी पुरानी यादें मिटाई नहीं जाती हैं, ताकि वह अपने पुराने लोगों से मिलकर बचा हुआ हिसाब पूरा करे. इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि कुछ अच्छी आत्माओं को पुनर्जन्म इसलिए दिया जाता है, ताकि धरती पर अच्छे बुरे इंसानों का संतुलन बना रहे. ऐसे अधिकांशतया संत महात्माओं के साथ ही होता है. आइए जानते हैं पुनर्जन्म से जुड़ी रोचक सच्ची घटनाएं..
9 वर्षीय वीर सिंह ने पहचाना पूर्व पिता को
बिहार के मुजफ्फर नगर की कहानी है. 9 वर्षीय वीर सिंह जब अपने पिछले जन्म के माता-पिता का नाम अथवा उनकी कहानी सुनाता तो लोग इसे उसका बचपना मानकर चुप हो जाते थे. किंतु एक दिन वीर सिंह ने अपना पुराना गांव, गली और मकान नंबर बताया और अपने पिता का नाम लक्ष्मीचंद बताया तो घर वालों ने महज ‘देख लेते हैं’, वाली तर्ज पर अमुक गांव गया और पिता लक्ष्मीचंद को देखते ही वीर सिंह उससे चिपक कर रोने लगा तब लोगों को स्थिति की गंभीरता का अहसास हुआ. इसके बाद पूछने पर वीर सिंह ने और भी सनसनी खेज जानकारियां दी तब लोगों ने माना कि वीर सिंह की पुनर्जन्म की कहानी कपोल कल्पित नहीं बल्कि सच्ची थी.
हरियाणा में भी कुछ ऐसा ही हुआ था
हरियाणा के पलवल के एक छोटे बच्चे ने बताया कि वह अमुक गांव का है और उसकी 45 साल की पत्नी भी है, तो परिवार और गांव वालों ने समझा बच्चे ने कोई सपना देखा होगा. जबकि बच्चा बता रहा था कि उसकी मृत्यु एक सड़क हादसे में हो गई थी और उसकी पत्नी अभी भी जीवित है. बच्चा जब बार-बार एक ही बार दोहराता है तो परिवार के लोगों ने छानबीन की. तो सारी बातें सच साबित हुई.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं.