फ़िनलैंड (Finland) की नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री सना मारिन (Sanna Marin) ने कर्मचारियों के लिए हफ्ते में चार दिन सिर्फ 6 घंटों तक काम के वर्किंग आर्स का प्रस्ताव रखा है. यह प्रस्ताव रखने के बाद से मोरिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में हैं. प्रधान मंत्री सना मारिन ने यह प्रस्ताव इसलिए रखा ताकि श्रमिक अपने परिवारों के साथ अधिक समय बिता सके और उन पर काम का कम तनाव हो. इस प्रस्ताव पर अभी तक फ़िनलैंड सरकार का निर्णय आना बाकी है. मारिन के इस प्रस्ताव पर समर्थकों और उनके आलोचकों की नजर बनी हुई है. प्रधान मंत्री बनने से पहले सना मारिन ने फिनलैंड के परिवहन मंत्री (Minister of Transport) का पद संभाला था. यह पद संभालते हुए 34 वर्षीय मोरिन ने हफ्ते में कम के कम दिन और उत्पादकता में सुधार के लिए छोटे कर्मचारियों की वकालत की. एक बच्चे की मां मारिन ने बातचीत में डेली मेल से कहा था कि, “मेरा मानना है कि लोग अपने परिवार, प्रियजनों, शौक और जीवन के अन्य पहलुओं जैसे संस्कृति के साथ अधिक समय बिताना डिजर्व करते हैं.
फ़िनलैंड के शिक्षा मंत्री और लेफ्ट अलायंस (Left Alliance) नेता ली एंडरसन (Li Andersson) ने मारिन के इस प्रस्ताव का स्वागत किया. हालांकि, कुछ ने उनके इस प्रस्ताव को बहुत ज्यादा “feminine” बताते हुए उनकी आलोचना की. इनके साथ गठबंधन के चार अन्य दल भी हैं, जिनका मोरिन नेतृत्व कर रही हैं. यह भी पढ़ें: कौन है सना मारिन? जानें दुनिया की सबसे कम उम्र की फिनलैंड की महिला प्रधान मंत्री के बारे में
दिसंबर 2019 में जब मारिन को फ़िनलैंड का प्रधान मंत्री घोषित किया गया, तो लोग बहुत खुश हुए क्योंकि वे दुनिया की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री हैं. वर्तमान में फिनलैंड में हफ्ते में पांच दिन आठ घंटों की वर्किंग पॉलिसी हैं, जो साल 2015 में लागू की गई थी. स्वीडन में छह घंटे की वर्किंग पॉलिसी है, जो साल 2015 में लागू की गई थी. अध्ययनों के अनुसार, फ़िनलैंड ने मजदूरों के लिए ज्यादा वेजेस, प्रोडक्टीविटी और मानसिक स्वास्थ्य रिपोर्ट में शुरूआती सफलता दिखाई है.