Bengaluru: जामून के बाउल में मिला मरा हुआ कॉकरोच, रेस्तरां को ग्राहक को 55 हजार रुपए देने का आदेश

जामुन के बाउल में मृत कॉकरोच पाए जाने के बाद बेंगलुरु के एक रेस्तरां को एक ग्राहक को 55,000 रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया गया है. बेंगलुरु के गांधीनगर इलाके में कामथ होटल से जुड़ी घटना सितंबर 2016 में हुई थी. साल 2018 में जिला उपभोक्ता मंच ने होटल के मालिक को शिकायतकर्ता केएम राजन्ना को 55,000 रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया था.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

जामुन के बाउल (Bowl of Jamun) में मृत कॉकरोच (Dead Cockroach) पाए जाने के बाद बेंगलुरु के एक रेस्तरां (Restaurant in Bengaluru) को एक ग्राहक को 55,000 रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया गया है. बेंगलुरु (Bengaluru) के गांधीनगर (Gandhinagar) इलाके में कामथ होटल (Kamath Hotel) से जुड़ी घटना सितंबर 2016 में हुई थी. साल 2018 में जिला उपभोक्ता मंच (District Consumer Forum) ने होटल के मालिक को शिकायतकर्ता केएम राजन्ना (KM Rajanna) को 55,000 रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया था. रेस्तरां ने आदेश के खिलाफ अपील की, लेकिन कर्नाटक राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (Karnataka State Consumer Disputes Redressal Commission) ने इस साल सितंबर में आदेश को बरकरार रखा.

पेशे से वकील राजन्ना और उनके दोस्त 15 सितंबर 2016 को कामथ होटल गए थे. उन्होंने डोसा और जामुन का ऑर्डर दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजन्ना को जामुन के कटोरे में एक मरा हुआ कॉकरोच तैरता हुआ मिला था. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब उन्होंने जामुन बाउल की फोटो लेनी शुरु की, तो परोसने वाले वेटर ने उनका मोबाइल फोन छीनने की कोशिश की, जिससे रेस्तरां में अफरा-तफरी मच गई. यह भी पढ़ें: Cockroaches: घर में बढ़ते कॉकरोच के आतंक से हैं परेशान, निजात पाने के लिए आजमाएं ये जबरदस्त घरेलू उपाय

घटना के बाद राजन्ना ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और कामथ होटल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया. मालिक ने साल 2018 में दिए गए कानूनी नोटिस का जवाब नहीं दिया. नतीजतन उपभोक्ता मंच के न्यायाधीशो ने राजन्ना को सेवा में कमी के लिए 50 हजार रुपए का मुआवजा और मुकदमेबाजी खर्च के लिए 5 हजार रुपए देने का आदेश दिया.

कामथ होटल के प्रतिनिधियों ने इस आदेश के खिलाफ कर्नाटक राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अपील की. उन्होंने दावा किया कि उन्हें जिला उपभोक्ता फोरम में उनके खिलाफ मामले की जानकारी नहीं थी और फैसले को लागू करने के नोटिस के बाद ही उन्हें इसके बारे में पता चला. उन्होंने इस आरोप से इनकार किया कि उनके वेटर ने राजन्ना पर हमला किया था.

हालांकि न्यायाधीश इससे सहमत नहीं हुए और बताया कि इस संबंध में पुलिस थाने में एक मामला दर्ज किया गया था. उन्होंने नोट किया कि कानूनी नोटिस जारी होने के बावजूद रेस्तरा एकपक्षीय रहा. इस प्रकार जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश को 24 सितंबर तक बरकार रखा गया.

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