Sniffing Deodorant Chemicals: डियोड्रेंट केमिकल सूंघने के बाद ऑस्ट्रेलियाई लड़की की मौत, जानें जानलेवा एक्टिविटी ‘क्रोमिंग’ के बारे में
एसरा हेन्स (Photo Credit: Instagram/ 𝓘𝓶𝓸𝓰𝓮𝓷 𝓗𝓪𝔂𝓷𝓮𝓼)

Sniffing Deodorant Chemicals: मेलबर्न (Melbourne) में 13 साल की एक लड़की की मौत के बाद उसके घर में मातम पसर गया. बताया जा रहा है कि डियोड्रेंट केमिकल (Deodorant Chemicals) सूंघने के बाद उसकी मौत हो गई, इस जानलेवा एक्टिविटी को क्रोमिंग (chroming) कहा जाता है. News.com.au के अनुसार, Esra Haynes नाम की 13 वर्षीय लड़की कथित तौर पर 31 मार्च, 2023 को सोते समय 'क्रोमिंग' सोशल मीडिया ट्रेंड में शामिल थी. इस ट्रेंड में शामिल होने की वजह से उसे अपरिवर्तनीय मस्तिष्क क्षति और कुछ ही समय बाद दिल का दौरा पड़ा. रिपोर्ट्स की मानें तो कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) आने पर लड़की को करीब 8 दिनों तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था, जिसके बाद परिवार ने उपकरणों को बंद करने का फैसला किया.

पीड़िता लगभग 1.5 सप्ताह आईसीयू में जिंदगी की जंग लड़ती रही, जबकि उसका दिल और फेफड़े ठीक थे, लेकिन उसका दिमाग ठीक नहीं हो पा रहा था और वो इस दुनिया को अलविदा कह गई. एसरा हेन्स की मौत के बाद उसके माता-पिता पॉल और एंड्रिया हेन्स ने ऐसे जोखिम भरे व्यवहार में संलग्न युवाओं के बारे में जागरूकता फैलाने को अपना लक्ष्य बना लिया है. वे अब बच्चों और किशोरों को अपनी बेटी के समान गलती करने से बचने की सलाह दे रहे हैं, उनका दावा है कि उन्हें पता नहीं था कि 'क्रोमिंग' क्या है, जब तक कि उन्हें फोन नहीं आया कि उनकी बेटी को अस्पताल लाया जा रहा है. यह भी पढ़ें: Drugs-Sex and Penis Amputation: 24 घंटे के सेक्स मैराथन के बाद अस्पताल पहुंचा शख्स, ड्रग्स के प्रभाव में संभोग करने से बढ़ी लिंग विच्छेदन की संभावना

उन्होंने कहा-हम चाहते हैं कि दूसरे बच्चे उनकी बेटी की तरह कोई गलती न करें. इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह हमारा मिशन होगा. वे यह भी अनुरोध कर रहे हैं कि डियोड्रेंट रचनाओं को सुरक्षित बनाया जाए और सभी स्कूलों में सीपीआर निर्देश को अनिवार्य बनाया जाए.

इस बीच सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्रोमिंग क्या है? दरअसल, क्रोमिंग को अक्सर हफिंग के रूप में जाना जाता है, जिसमें धातु के पेंट, सॉल्वैंट्स, गैसोलीन, एयरोसोल और अन्य पदार्थों जैसे घरेलू रसायनों को शामिल करना है. इस प्रकार के डियोड्रेंट केमिकल को सूंघने से मस्तिष्क की गतिविधि धीमी हो जाती है और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव पड़ता है.

युनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार, एयरोसोल स्प्रे या सॉल्वेंट में मौजूद केमिकल को सूंघने से हार्ट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. ज्यादा मात्रा में केमिकल को सूंघते रहने से सफोकेशन भी हो सकता है और यह इंसान की मौत का कारण भी बन सकता है, ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि अधिक मात्रा में केमिकल को सूंघने के बाद सांस लेने के बावजूद शरीर में ऑक्सीजन नहीं जाता है.