World Refugee Day 2024:  जटिल और अंतर्राष्ट्रीय समस्या है शरणार्थियों का पुनर्वास? जानें विश्व शरणार्थी दिवस का महत्व! तथा भारत में शरणार्थी समस्या!
World Refugee Day 2024(img : file photo )

युद्ध, उत्पीड़न अथवा प्राकृतिक आपदाओं आदि के कारण अकसर भारी संख्या में लोग अपनी जान बचाने के लिए दूसरे देशों की शरण लेते हैं. अंतर्राष्ट्रीय नियमों के तहत प्रत्येक देश का नैतिक दायित्व होता है, शरणार्थियों को आवास एवं भोजन मुहैया कराये. इस विश्व व्यापी समस्या को कारगर बनाने के उद्देश्य से हर वर्ष 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाया जाता है. यह दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा उन लोगों की शक्ति, साहस एवं संयम को सम्मानित करने के लिए समर्पित है, जिन्होंने युद्ध, उत्पीड़न या प्राकृतिक आपदाओं के कारण दूसरे देश में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है. हालांकि उनके पुनर्वास के लिए आश्रयदाता देश के सामने उनकी सुरक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, एवं सामाजिक समावेश की व्यवस्था किसी सुरसा के मुंह की तरह होती है. आइये जानते हैं विश्व शरणार्थी दिवस पर कुछ में कुछ रोचक तथ्य, एवं भारत में बढ़ती शरणार्थी समस्या! यह भी पढ़ें : Nirjala Ekadashi 2024 Messages: हैप्पी निर्जला एकादशी! प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, GIF Greetings और Photo SMS

शरणार्थियों के पुनर्वास की प्रमुख चुनौतियाँ:

सुरक्षा और कानूनी स्थिति: शरणार्थी जिस देश में कूच करते हैं, वहां रहने के लिए कानूनी सुरक्षा की आवश्यकता होती है. कुछ देशों में शरणार्थियों को कानूनी मान्यता प्राप्त करने में तमाम कठिनाइयाँ आती हैं.

आर्थिक अवसर: शरण देने वाले देश को अपनी आर्थिक व्यवस्था को सुचारु रखने एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए शरणार्थियों को रोजगार मुहैया कराना आवश्यक होता है. अकसर प्रोफेशनल शरणार्थियों को अपने कौशल का उपयोग करने के बजाय किसी भी स्तर का कार्य करना पड़ता है.

स्वास्थ्य सेवाएं: शरणार्थियों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत होती है. उन्हें स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं में समाविष्ट करना किसी भी देश के लिए प्रबल चुनौती होती है

शिक्षा: आश्रयदाता देश के सामने शरणार्थी बच्चों एवं युवाओं को शिक्षा प्रदान करना एक जटिल समस्या है, क्योंकि भाषा और सांस्कृतिक भिन्नताओं के कारण शरणार्थी बच्चों के लिए शिक्षा प्रणाली में समायोजन मुश्किल होता है.

अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका!

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन शरणार्थियों के अधिकारों एवं सुरक्षा की रक्षा हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वे शरणार्थियों के लिए स्थायी समाधान तलाशने में आश्रय देनेवाले देश की मदद करते हैं, जिसमें पुनर्वास, स्वैच्छिक वापसी और स्थानीय एकीकरण शामिल हैं.

स्थानीय सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की भूमिका:

स्थानीय सरकारें शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए नीतियां एवं कार्यक्रम लागू करती हैं. गैरसरकारी संगठन (NGOs) शरणार्थियों की

सहायता करने, उनके अधिकारों की रक्षा करने एवं उन्हें अनुकूल सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

समुदाय और समाज की भूमिका:

किसी भी शरणार्थी को स्थानीय समुदायों का समर्थन और स्वागत उनके सफल पुनर्वास में बहुत महत्वपूर्ण साबित होते हैं. समाजश रणार्थियों के प्रति सहानुभूति और सहयोग का दृष्टिकोण अपनाकर उनके समावेश में मदद कर सकते हैं. शरणार्थी पुनर्वास की सफलता के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, नीतिगत सुधार, और व्यापक सामाजिक समर्थन आवश्यक है. यह न केवल शरणार्थियों की सुरक्षा और गरिमा की रक्षा करता है, बल्कि इससे समाज को भी समृद्धि और विविधता का लाभ मिलता है.

विश्व शरणार्थी दिवस का महत्व!

जागरूकता: यह दिवस वैश्विक समुदाय को शरणार्थियों की समस्याओं और उनकी जरूरतों के बारे में जागरूक करने का काम करता है.

समर्थन: शरणार्थियों के समर्थन में एकजुटता और सहानुभूति को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है.

अधिकार: शरणार्थियों के अधिकारों की सुरक्षा और उनकी मदद के लिए कानून और नीतियों को मजबूत करने पर जोर दिया जाता है.

समुदाय: यह दिवस शरणार्थियों को आश्रय देने वाले समुदायों एवं देशों को भी सम्मानित करता है, जिन्होंने इन लोगों को सुरक्षा और सहायता प्रदान किया हुआ है.

भारत में अहम है शरणार्थी समस्या!

भारत एक विविधता से भरा देश है, और दशकों से शरणार्थियों को पनाह देता रहा है. आजादी के बाद से ही भारत शरणार्थियों को पनाह देता आया है. इसके बाद से यह सिलसिला जारी है.

तिब्बती शरणार्थीः साल 1959 में जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया, तो दलाई लामा और उनके अनुयायियों ने भारत में शरण ली.

बांग्लादेशी शरणार्थीः साल 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाखों बंगलादेशी शरणार्थी भारत में पनाह लिया.

श्रीलंकाई तमिल शरणार्थीः साल 1980 के आसपास श्रीलंका में गृहयुद्ध के दौरान तमिलियनों ने भारत में शरण लिया.

रोहिंग्या शरणार्थी: कुछ वर्ष पूर्व म्यांमार से भारी तादाद में भागकर भारत आये शरणार्थी आज भारत की बड़ी चुनौती है.

अफगानी शरणार्थी: गत वर्ष अफगानिस्तान में हिंसक संघर्ष के चलते कई अफगानी नागरिक आज भी भारत में रह रहे हैं.