Rani Lakshmibai Punya-Tithi 2024: साधारण मनु से झांसी की असाधारण महारानी लक्ष्मीबाई बनने की अनुपम कहानी? जानें रानी लक्ष्मीबाई के बारे में दस प्रेरक, रोचक एवं कम ज्ञात तथ्य!
Rani Lakshmibai Punya (img : file photo )

ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में 18 जून की तारीख कभी भुलाई नहीं जा सकती. यही वह तारीख है, जब अंग्रेजों के षड़यंत्र और तानाशाही रवैये के खिलाफ वीरांगना झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी सेना का संहार करते हुए अंततः वीरगति को प्राप्त हुई थी. रानी लक्ष्मीबाई वह नाम है, जिसके शौर्य, साहस, बहादुरी और बलिदान के सामने आज के युवा भी सम्मान से सिर झुकाते हैं. रानी

लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि (18 जून) के अवसर पर हम बात करेंगे, उनके जीवन से जुड़े 11 रोचक, प्रेरक एवं कम ज्ञात पहलुओं पर..

* लक्ष्मी बाई का जन्म 1828 में अस्सी घाट (वाराणसी) के समीप हुआ था. पिता का नाम मोरोपंत और मां का नाम भागीरथी बाई था. घर में उन्हें मणिकर्णिका उर्फ मनु पुकारा जाता था. मां की कम उम्र में मृत्यु के कारण मनु का बचपन पेशवा बाजीराव के दत्तक पुत्र नानासाहेब के साथ खेलते बीता. साल 1842 में मात्र 14 वर्षीया मनु का विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव के साथ गणेश मंदिर में सम्पन्न हुआ था.

* प्रारंभिक शिक्षा: रानी लक्ष्मी बाई औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने वाली भारत की चुनिंदा महिलाओं में एक थीं. उनके पिता मोरोपंत तांबे, जो स्वयं एक विद्वान थे, ने उन्हें संस्कृत, फ़ारसी और उर्दू सिखाई थी. इस प्रारंभिक शिक्षा के कारण वह आगे चलकर नेतृत्व कौशल की एक मजबूत नींव रखी.

* संगीत और नृत्य कला से प्रेम: कम लोग जानते होंगे कि रानी लक्ष्मीबाई एक कुशल संगीतकार और ओजस्वी नृत्यांगना भी थीं. कथक और भरतनाट्यम जैसे शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत का उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया था. उनके इस टैलेंट ने उन्हें सामान्य लोगों से जुड़ने में मदद मिली. यह भी पढ़ें : Nirjala Ekadashi 2024 Messages: हैप्पी निर्जला एकादशी! प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, GIF Greetings और Photo SMS

* पति के साथ मजबूत रिश्ता: रानी लक्ष्मीबाई का विवाह राजा जनकोजी राव सिंधिया द्वितीय से हुआ था, बहुत जल्दी ही दोनों के बीच एक मजबूत रिश्ता बन गया. वह प्रगतिशील विचारों वाले पुरुष थे. वह राज्य के हर मामलों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए, सदैव रानी लक्ष्मीबाई का सहयोग लेते थे, इसी वजह से पति की मृत्यु के पश्चात लक्ष्मीबाई झाँसी की रानी बनीं.

* महिलाओं हेतु परोपकार: रानी लक्ष्मीबाई अपने धर्मार्थ कार्यों, विशेषकर महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए सर्वत्र विख्यात थीं. उन्होंने कई स्कूलों की स्थापना की और जरूरतमंद तथा अनाथ विधवाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की.

* सैन्य रणनीति: रानी लक्ष्मीबाई एक कुशल एवं चतुर सैन्य रणनीतिकार थीं, जिसके कारण झांसी की सुरक्षा के दरमियान वह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सफल रहीं. उन्होंने सैन्य रणनीति का अध्ययन किया, और प्रभावी युद्ध योजनाएं तैयार करने के लिए अपने सेना कमांडरों के साथ मिलकर काम किया.

* संकट में भी धैर्य पूर्वक नेतृत्व: जब ब्रिटिश हुकूमत ने भारी संख्या में सशस्त्र सेनाओं के साथ झांसी पर आक्रमण किया तो लक्ष्मीबाई ने बड़े धैर्यपूर्वक मोर्चा संभाला, और दृढ़ संकल्प एवं बहादुरी के साथ झांसी की सुरक्षा करने में सफल रहीं.

* अपनों के लिए बलिदान: रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी और झांसी के लोगों के लिए बलिदान दिया. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए अपना सिंहासन, धन और यहां तक कि अपना जीवन का भी बलिदान कर दिया.

* भारतीय राष्ट्रवादियों की प्रेरणा स्त्रोत: रानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी और बलिदान के पश्चात कई राष्ट्रभक्त भारतीयों को उनके समर्थन में आने के लिए प्रेरित किया. इन सभी का एक ही लक्ष्य था ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध स्वतंत्रता का खुला संग्राम. रानी लक्ष्मीबाई विदेशी घुसपैठियों के विरुद्ध प्रतिरोध का प्रतीक बन गयी थीं.

* दृढ़ इच्छाशक्ति: तमाम चुनौतियों और असफलताओं का सामना करने के बावजूद, रानी लक्ष्मी बाई अपने लक्ष्य पर दृढ़ रहीं. झांसी की रक्षा करने और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने का उनका दृढ़ संकल्प, उनकी अटूट इच्छाशक्ति महिलाओं और पुरुषों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी.

* विरासत: रानी लक्ष्मी बाई की विरासत उनके जीवन और काल से कहीं आगे तक फैली हुई हैं. आज भी वह एक प्रतिष्ठित और प्रेरक हस्ती मानी जाती हैं.