सर्वविदित है कि मां का दूध उसके बच्चे को समस्त पोषण और सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्तन के दूध की संरचना समय के साथ बदलती रहती है? विश्व स्तनपान सप्ताह (01 अगस्त से 7 अगस्त 2023) पर आज हम बात करेंगे कि माँ के दूध में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व होते हैं, और बच्चे की किन-किन जरूरतों को पूरा करने के लिए समय के साथ इसके पौष्टिक तत्वों में परिवर्तन होते रहते हैं. यह भी पढ़ें: World Breastfeeding Week 2023: कब शुरू हो रहा है विश्व स्तनपान सप्ताह? जानें इसका इतिहास, अहमियत एवं कुछ रोचक तथ्य?
शिशु के लिए माँ के दूध के फायदे!
हमारी जानकारी के अनुसार माँ के दूध में अलग-अलग बायोएक्टिव घटक होते हैं, जो बच्चे के जठरांत्र संबंधी मार्ग, प्रतिरक्षा प्रणाली और मस्तिष्क के विकास आदि में मदद करते हैं. कई शोध इस बात का खुलासा करते हैं कि स्तनपान के बाद जीवन में संभावित चयापचय रोग के जोखिम को कम करने में मदद करता है. इसमें मुख्य रूप से मोटापा और टाइप 2 मधुमेह शामिल हैं. कम लोग जानते हैं कि जैसे-जैसे आपके बच्चे का विकास होता है, बच्चे की आवश्यकतानुसार स्तन के दूध की संरचना बदलती जाती है. इससे बच्चे को निरंतर सर्वोत्तम पोषण मिलता रहता है, यही वजह है कि मां के दूध को ‘जादू’ शब्द से नवाजा जाता है.
माँ के दूध की संरचना!
स्तन के दूध की अनुमानित संरचना 87 % पानी, 7 %, लैक्टोज 4% और 1% प्रोटीन होता है. इसमें वसा और लैक्टोज (एक विशेष प्रकार का कार्ब/शक्कर) स्तन के दूध में अधिकांश ऊर्जा प्रदान करते हैं, जो बच्चों की जरूरत होते हैं. इसके अलावा माँ के दूध में ढेर सारे अणु का निर्माण होता है, जो स्तन के दूध को अधिक पोषण प्रदान करते हैं. उदाहरणार्थ
प्रतिरक्षा को बढ़ावा देनाः प्रतिरक्षा कोशिकाओं, स्टेम सेल्स, एंटीबॉडी
माइक्रोबायोम की स्थापनाः प्रोबायोटिक्स, अच्छे बैक्टीरिया, ओलिगोसैकेराइड
बच्चे के विकास में सहायकः न्यूक्लियोटाइड, प्रोटीन, विकास कारक
पर्याप्त पोषण प्रदान करनाः विटामिन, खनिज
बच्चे को गर्भ के बाहर जीवन को समायोजित करने में मदद करनाः हार्मोन, एंजाइम
नये स्वादों से परिचयः माँ के आहार से उनके अपने स्वाद और स्वाद के साथ
संभावितः और भी वे घटक जिन पर शोध जारी है.
माँ के दूध में मुख्य पोषक तत्व
वसाः वसा माँ के दूध का महत्वपूर्ण घटक है, जो न केवल ऊर्जा आपूर्ति करता है, बल्कि केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के विकास में भी सहायक साबित होता है. वसा शिशु को सुगंध एवं स्वाद प्रदान करती है. स्तन के दूध में वसा की मात्रा 3.5 से 4.5 के बीच होती है. माँ के दूध में 200 से अधिक प्रकार फैटी एसिड होते हैं. ये सभी तत्व स्वास्थ्य एवं विकास में अहम भूमिका निभाते हैं.
कार्बोहाइड्रेटः माँ के दूध में प्रमुख कार्ब लैक्टोज है, उच्च लैक्टोज तत्व विशेष रूप से विकासशील मस्तिष्क के लिए ऊर्जा प्रदान करती है. लैक्टोज दूध की स्थिरता बनाए रखने और कैल्शियम जैसे खनिजों के अवशोषण में मदद करता है. हालिया शोध के अनुसार माँ के दूध में कार्बोहाइड्रेट की एक विशेष श्रेणी होती है, जिसे मानव दूध ऑलगोसराइड्स (HMO) कहा जाता है. ये लाभकारी आंत बैक्टीरिया के विकास को बढ़ाते हैं. साथ ही बच्चों को हानिकारक बैक्टीरिया से बचाने का भी कार्य करते हैं.
प्रोटीनः मां के दूध में 400 से अधिक किस्म के प्रोटीन होते हैं, जो दो श्रेणियों कैसिइन और मट्ठा में आते हैं. प्रोटीन स्वयं एक पोषक तत्व है, लेकिन अन्य पोषक तत्वों को अवशोषित करने में भी मदद करता है. प्रोटीन में रोगाणुओं और प्रतिरक्षा सहायक कार्य भी होते हैं. अमीनो एसिड प्रोटीन के निर्माण खंड है और प्रत्येक का अद्भुत संयोजन होता है.
कब से कब तक स्तनपान कराना चाहिए बच्चों को.
बच्चे के जन्म के बाद जब भी पहली बार माँ बच्चे को गोद में लेती है, उसे दूध पिलाना चाहिए, क्योंकि जन्म के बाद माँ के शरीर में खास दूध बनता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं, यह दूध बच्चे को तमाम तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखते हैं. स्तनपान की प्रक्रिया छ माह तक निरंतर करना चाहिए. इस दरम्यान उसे बाहर का दूध देने से परहेज रखना चाहिए. दो साल तक के बच्चों को स्तनपान के साथ बाहर के दूध भी देते रहना चाहिए. इस दरम्यान माँ को अपने खानपान पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए.