पश्चिम की ये वादियां और फिजाएं, इनकी प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को करती हैं अपनी ओर आकर्षित
मार्च की शुरुआत के साथ ही उत्तर भारत की ठिठुरती सर्दी से थोड़ी राहत मिलने लगती है, तो वहीं पश्चिम भारत विशेषकर मुंबई में गर्मी अपना रंग दिखाने लगती है. ऐसे में अगर दो-तीन दिन का ट्रिप महाबलेश्वर, पंचगनी अथवा माथेरान का बना लिया जाये गर्मी से राहत के साथ, शरीर को काफी ऊर्जा प्राप्त होती है.
मार्च की शुरुआत के साथ ही उत्तर भारत की ठिठुरती सर्दी से थोड़ी राहत मिलने लगती है, तो वहीं पश्चिम भारत विशेषकर मुंबई में गर्मी अपना रंग दिखाने लगती है. ऐसे में अगर दो-तीन दिन का ट्रिप महाबलेश्वर, पंचगनी अथवा माथेरान का बना लिया जाये गर्मी से राहत के साथ, शरीर को काफी ऊर्जा प्राप्त होती है. मुंबई शहर के काफी करीब होने के कारण अकसर फिल्मकार इन हिल स्टेशनों अपनी फिल्मों की शूटिंग करते नजर आते हैं. तो आइये चलें पश्चिम की इन वादियों की सैर पर.. जहां प्रकृति ने सौंदर्य की अनुपम छटा बिखेरी है...
1- महाबलेश्वर
महाबलेश्वर का शाब्दिक अर्थ है- भगवान की महान शक्ति. दूसरे शब्दों में इसे भगवान शिव का स्थान भी कहा जाता है. महाबलेश्वर में वीना, गायत्री, सावित्री, कोयना और कृष्णा नामक पांच नदियां बहती हैं. महाराष्ट्र के सातारा जिले में स्थित महाबलेश्वर वहां का सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशन है. इस हिल स्टेशन की खोझ राजा सिंघन ने की थी. बाद में उन्होंने ही यहां पर महाबलेश्वर मंदिर का निर्माण भी करवाया था. 17वीं शताब्दी में शिवाजी राजे ने इस क्षेत्र पर कब्जा करके यहां पर प्रतापगढ़ किले का निर्माण करवाया था. जो आज भी पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र माना जाता है.
यहां तीस से अधिक दर्शनीय स्थल हैं. इनमें प्रमुख हैं एलफिंस्टन प्वाइंट, मार्जोरी प्वाइंट, फॉकलैंड प्वाइंट, कैसल रॉक, कारनैक प्वाइंट, इको प्वाइंट और बाम्बे प्वाइंट इत्यादि. महाबलेश्वर में इन प्वाइंटों के अलावा घाटियां, झरने, झीलें हैं जो आपका थकान पल भर में हर लेने की क्षमता रखती हैं. ब्रिटिश शासन काल में इसे ग्रीष्म कालीन राजधानी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था. बेंबीग्टन प्वाइंट की ओर जाते समय भूम नामक बाँध भी पर्यटकों को रिझाता है. यह भी पढ़ें: जन्नत में होने का एहसास दिलाते हैं दक्षिण भारत के ये टूरिस्ट प्लेस, यहां के मनमोहक नजारे मोह लेंगे आपका मन
2- पंचगनी
महाबलेश्वर से पंचगनी मात्र 19 किमी की दूरी पर स्थित है. लिहाजा महाबलेश्वर का ट्रिप बनाते समय दो दिन पंचगनी के लिए भी रखा जा सकता है. चारों तरफ से नैसर्गिक सुंदरता को अपने आप में समेटा यह क्षेत्र पर्यटकों को हमेशा से आकर्षित करता रहा है. पंचगनी अपनी सदाबहार जलवायु और प्रकृति प्रदत्त सौंदर्य के लिए हमेशा से मशहूर है. यहां का सबसे खूबसूरत स्थल है टेबल लैंड. लगभग 1300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस पहाड़ी की चोटी पर करीब 99 एकड़ में फैला समतम स्थान शायद ही कहीं देखने को मिलता है. इसके चारों ओर गहरी-गहरी खाइयां हैं.
बरसात के दिनों में जब यहां तेज हवाएं चलती हैं तो इस टैबल लैंड का रोमांच दुगना बढ़ जाता है. जरा सी लापरवाही घातक साबित हो सकती है. इसलिए ऐसे समय पर बच्चों पर विशेष नियंत्रण रखने की आवश्यकता होती है. पचमढ़ी में घटजई देवी का प्राचीन मंदिर भी है. मान्यता है कि घटजई देवी घाटों की रक्षा करती हैं. यहां चैत्र मास में बहुत बड़ा मेला लगता है. पंचगनी बोर्डिंग स्कूल यहां का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है. मुंबई के बड़े-बड़े के बच्चे यहां प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने आते हैं.यहां स्ट्राबेरी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.
कैसे पहुंचें?
मुंबई से महाबलेश्वर अथवा पंचगनी करीब 200 किमी की दूरी पर स्थित है. यहां ट्रेन अथवा बसों से पहुंचा जा सकता है.
3- माथेरान
मुंबई से करीब सौ किमी की दूर रायगढ़ में स्थित माथेरान देश का अकेला ऐसा हिल स्टेशन है, जहां निजी वाहन ले जाना प्रतिबंधित है. माथेरान में बहुत सारे दर्शनीय स्थल हैं, जो घुमक्कडों को बेहद पसंद हैं. माथेरान का मुख्य आकर्षण है रामबाग, जहां ऐसी सीढियाँ हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि शिवजी अपने युध्द अभ्यास इन्हीं सीढ़ियों के पास किया करते थे. यहां से थोड़ी दूर बढने पर पेनोरमा प्वाइंट मिलेगा. यहां से सुदूर पहाड़ियों के बीच झांकता सूर्योदय और सूर्यास्त का नयनाभिराम दृश्य देखने को मिलता है. यह भी पढ़ें: मार्च में करें भारत के इन खूबसूरत जगहों की सैर, वेकेशन का मजा हो जाएगा डबल
यहां का खूबसूरत झील शार्लोट माथेरान के लिए पेयजल का अकेला स्रोत है. यहीं पास में लार्ड्स प्वाइंट भी है. यहां से दूर-दूर तक फैली सहयाद्री पर्वत श्रृंखलाओं और दिन के समय उनके हर पल रंग बदलते देखना अच्छा लगता है साथ ही कौतूहल भी पैदा करता है. यहां से कई किमी दूर स्थित प्रबल गढ़ का किला भी नजर आता है. इसके अलावा यहां एक और प्वाइंट सैलानियों को बरबस आकर्षित करता है, जिसे वैली क्रॉसिंग कहते हैं. यहां से आप रस्सियों पर लटकते हुए एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर जाने का आनंद भी ले सकते हैं. यह ह्रदय रोगियों के लिए प्रतिबंधित है.
कैसे पहुंचें?
माथेरान से करीब 20 किमी दूर है नेरल रेलवे स्टेशन. नेरल सीएसटी रेलवे स्टेशन से सीधी ट्रेन से जुड़ी है. नेरल से माथेरान टैक्सी से भी आया जा सकता है. एक छोटी ट्रेन भी है जो नेरल को माथेरान के मुख्य बाज़ार से जोड़ती है.