Staircase & Vastu: कैसी हो घर के अंदर या बाहर की सीढ़ियां? जानें वास्तु शास्त्री द्वारा निर्दिष्ट 6 महत्वपूर्ण टिप्स!

सीढ़ियां घर का अहम् हिस्सा होती हैं, क्योंकि इसी माध्यम से हम घर के ऊपरी फ्लोर और छतों आदि पर जाते हैं. वास्तु के नजरिये से इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. सीढ़ियों की दशा, दिशा एवं रंग आदि घर की नकारात्मकता अथवा सकारात्मकता को बहुत प्रभावित करते हैं...

वास्तु टिप्स (Photo: Wikimedia Commons)

सीढ़ियां घर का अहम् हिस्सा होती हैं, क्योंकि इसी माध्यम से हम घर के ऊपरी फ्लोर और छतों आदि पर जाते हैं. वास्तु के नजरिये से इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. सीढ़ियों की दशा, दिशा एवं रंग आदि घर की नकारात्मकता अथवा सकारात्मकता को बहुत प्रभावित करते हैं. अगर आप घर का निर्माण करवा रहे हैं, तो सीढ़ियों की दिशाओं, उनकी डिजाइनों, उनके रंगों आदि के लिए वास्तु निर्देशों का पालन करते हैं तो आपका घर आपके परिवार के लिए स्वर्ग का अनुभव करता है. वरना आपकी छोटी-सी भूल अथवा गलती पूरे घर का सुख-चैन खराब कर देती है. हमारे वास्तु शास्त्री आचार्य भगवत यहां बता रहे हैं कि घर में बनाई जा रही सीढ़ियां कैसी होनी चाहिए. यह भी पढ़ें: Vastu Tips: आप चाहते हैं कि आपकी तिजोरी हमेशा भरी रहे तो अपनाएं ये पांच आसान वास्तु टिप्स!

घर के अंदर की सीढ़ियां!

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के भीतर अगर सीढ़ियां बनानी है तो मकान के दक्षिण-पश्चिम का हिस्सा सर्वश्रेष्ठ माना जा सकता है. ये सीढ़ियां उत्तर दिशा से शुरू होकर दक्षिण दिशा में पूरी होनी चाहिए. इसका एक अन्य विकल्प पूर्व से पश्चिम भी हो सकता है.

घर के बाहर की सीढ़ियां!

बहुत से लोग प्राइवेसी अथवा अन्य कारणों से घर के बाहरी हिस्से में सीढ़ियों का निर्माण करवाते हैं. अगर आप भी ऐसा कुछ सोच रहे हैं तो यहां कुछ आदर्श दिशाएं बताई जा रही हैं.

* दक्षिण से पूर्व (जहां सीढ़ियां खत्म हो रही है) की ओर

* दक्षिण से पश्चिम (पश्चिम में समाप्त) की ओर

* दक्षिण से पश्चिम (दक्षिण की ओर समाप्त) की ओर

* उत्तर से पश्चिम (उत्तर की ओर समाप्त) की ओर

ईशान कोण में नहीं हों सीढ़ियां!

किसी भी स्थिति में सीढ़ियां ईशान कोण में नहीं बनानी चाहिए, न अंदर की ओर ना ही बाहर की ओ, क्योंकि हिंदू धर्म के अनुसार ईशान कोण में ईश्वर निवास करते हैं. इस स्थान पर मंदिर का निर्माण सर्वश्रेष्ठ होता है. इसके अलावा प्रवेश द्वार के एकदम सामने भी सीढ़ियां नहीं बनाना चाहिए, ऐसी सीढ़ियां घर को असंतुलित बनाती हैं.

कैसा रंग हो सीढ़ियों का!

सीढ़ियां बनाते समय जितना महत्वपूर्ण उसकी दिशा तय करना होता है, उतना ही महत्व उसके रंग का भी होता है. सीढ़ियों का रंग ऐसा हो कि चढ़ते अथवा उतरते समय किसी भी तरह की असुविधा नहीं हो. सीढ़ियों एवं उसकी रेलिंग का रंग हल्का होना चाहिए. सीढ़ियों पर गहरे रंगों खासकर लाल एवं काले रंग तो कत्तई नहीं होने चाहिए, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं. जहां तक सीढ़ियों से लगी दीवार की बात है तो इसके लिए भी हलके अथवा हलके प्रिंट वाली डिजाइन रख सकते हैं.

सीढ़ी के स्थान का चयन

जो मकान मालिक भूतल पर स्वयं रहते हैं, और ऊपर के मंजिल पर किरायेदार रख चुके हैं, उन्हें यह इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके घर के पास मुख्य द्वार पर सीढ़ी नहीं हो, क्योंकि वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि इससे वित्तीय नुकसान हो सकता है.

सीढ़ी वास्तु : आकार

वास्तु शास्त्र के अनुसार अंदर तथा बाहर की सीढ़ियों के लिए समकोण पर झुकी हुई वर्गाकार अथवा आयताकार सीढ़ियां सर्वोत्तम होती हैं. किसी भी घर में सीढ़ियां अगर बहुत ऊंची हैं, जिस पर चढ़ना थकान पैदा करता हो. वास्तु शास्त्री श्री आचार्य जी का कहना है कि घर के मालिक को अंदर या बाहर से सर्पिल आकार की सीढ़ियों से बचना चाहिए. यह नकारात्मक शक्तियों को प्रेरित करते हैं.

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