आज जिस तरह से सोशल मीडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, टिकटॉक एवं यूट्यूब आदि) किशोर-किशोरियों को अपने आकर्षण में कैद कर चुका है, ऐसे में यह कह पाना आसान नहीं होगा कि इससे ज्यादा प्रभावित किशोर है या किशोरियां, और इसे छोड़ पाना, किसके लिए आसान होगा और किसके लिए कठिन, लेकिन हाल ही में इस पर आई शोध की रिपोर्ट चौंकाने वाली है.
जानें टीन एजर लड़के-लड़कियों में किसके लिए सोशल मीडिया छोड़ना संभव है
अमेरिका में प्यू रिसर्च सेंटर के हालिया सर्वेक्षण में जो रिपोर्ट आई है, उससे पता चलता है कि लड़कों (टीनएजर) की तुलना में लड़कियों के लिए इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर, टिकटॉक और यूट्यूब (सोशल मीडिया) छोड़ना मुश्किल है. सोशल मीडिया से हटने के संदर्भ में पूछे गये प्रश्न पर, 54 प्रतिशत किशोर मानते हैं कि इसे छोड़ना आसान नहीं, जबकि शेष 46 प्रतिशत किशोरों के अनुसार इसे छोड़ा जा सकता है. किशोरियों पर हुए सर्वे के अनुसार (58 प्रतिशत बनाम 49 प्रतिशत) लड़कियों का मानना है कि सोशल मीडिया छोड़ना उनके लिए आसान नहीं होगा. वहीं 25 प्रतिशत किशोर और 15 प्रतिशत किशोरियों के लिए सोशल मीडिया छोड़ना मुश्किल नहीं होगा. सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट यह भी बताती है कि 15 से 17 साल वर्ग में हर 10वें किशोर एवं किशोरियों के लिए इस प्लेटफार्म को छोड़ना कुछ हद तक मुश्किल होगा.
कितना समय बिताते हैं टीनएजर्स सोशल मीडिया पर
अमूमन सोशल मीडिया पर टीनएजर्स जितना समय बिताते हैं, इस पर चिंतन करते हुए 55 प्रतिशत अमेरिकी टीन एजर्स का मानना है कि वे इन एप्स एवं साइटों पर उपयोगी समय बिताते हैं, जबकि 36 प्रतिशत का मानना है कि वे सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा समय बिताते हैं. यहां बता दें कि लगभग 95 प्रतिशत युवाओं पास स्मार्टफोन, 90 प्रतिशत के पास डेस्कटॉप या लैपटॉप कम्प्यूटर हैं, जबकि 80 प्रतिशत युवाओं की पहुंच गेमिंग कंसोल तक है.
पिछले 7-8 सालों में सोशल मीडिया पर 5 प्रतिशत सक्रियता बढ़ी है!
इसी संदर्भ में एक अन्य सर्वे के अनुसार साल 2014-15 में किशोर वय के बच्चों में इंटरनेट की उपयोगिता जहां 92 प्रतिशत थी, आज यह बढ़कर 97 प्रतिशत हो चुका है. एक रिपोर्ट यह भी खुलासा करती है कि टीन एजर्स की स्मार्टफोन तक पहुंच पिछले 8 वर्षों में बढ़ी है, जबकि डेस्कटॉप या लैपटॉप कंप्यूटर या गेमिंग कंसोल जैसे डिजिटल तकनीकों तक उनकी पहुंच में कोई वृद्धि या गिरावट नहीं आई है. कहने का आशय यह कि टीन एजर्स में कंप्यूटर के मुकाबले स्मार्टफोन की उपयोगिता बढ़ी है.