Satynarayan Vrat-katha 2023: पूर्णिमा पर रखें सत्यनारायण व्रत-कथा! होगी हर कामनाएं पूरी! जानें पूजा-कथा की विधि, मुहूर्त एवं पुण्य-लाभ!

सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का काफी महत्व है. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है, साथ बहुत से घरों में इस दिन श्रीहरि के एक स्वरूप भगवान सत्य़नारायण की पूजा-कथा का आयोजन भी होता है.

Vishnuji-Lakshmiji (Photo Credits: PTI)

सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का काफी महत्व है. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है, साथ बहुत से घरों में इस दिन श्रीहरि के एक स्वरूप भगवान सत्य़नारायण की पूजा-कथा का आयोजन भी होता है. यूं तो भगवान श्री सत्यनारायण की पूजा-कथा सुबह अथवा सायंकाल किसी भी समय सुनी जा सकती है, लेकिन विदुषियों की मानें तो सायंकाल की कथा ज्यादा शुभ होती है, क्योंकि जातक पूर्ण उपवास करके कथा सुनता है, और प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारण करते हैं. इस दिन दान-धर्म भी किया जाता है. इस साल 2023 की पहली पूर्णिमा 6 जनवरी शुक्रवार को पड़ रही है. आइये जानें भगवान सत्यनारायण व्रत-कथा का महात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा कथा इत्यादि के बारे में विस्तार से..

सत्यनारायण व्रत-कथा का महत्व!

पूर्णिमा के अलावा गुरुवार के दिन भी भगवान श्री सत्यनारायण की व्रत एवं कथा सुनी जा सकती है. ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा एवं आस्था के साथ श्री सत्यनारायण का व्रत एवं कथा सुनते हैं तो हर मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. जीवन में व्याप्त दुख, दरिद्रता, कष्ट एवं रोग-व्यार्धि आदि मिट जाते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है. यह भी पढ़ें : World Hindi Day 2023: कब और क्यों मनाया जाता है विश्व हिंदी दिवस? जानें इसका इतिहास, उद्देश्य एवं सेलिब्रेशन!

पौष पूर्णिमा पूजा-व्रत की तिथि एवं मुहूर्त

पूर्णिमा प्रारंभः 02.14 PM (6 जनवरी 2023, शुक्रवार)

पूर्णिमा समाप्त 04.37 PM (07 जनवरी 2023, शनिवार)

श्री सत्यनारायण व्रत, पूजा एवं कथा विधि

भगवान सत्यनारायण को विष्णुजी का स्वरूप मानते हैं. पूर्णिमा के दिन प्रात- स्नान-ध्यान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें, सत्यनारायणजी के व्रत, पूजा एवं कथा का संकल्प लें. मुहूर्त अनुरूप चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर सत्यनारायणजी की प्रतिमा स्थापित करें. प्रतिमा को पंचामृत (शुद्ध घी, शहद, गाय का कच्चा दूध, दही, चीनी) एवं गंगाजल से अभिषेक करें. धूप-दीप प्रज्वलित कर मंत्र पढ़ें

‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः’

श्रीगणेश की स्तुति-मंत्र एवं पुष्प-दूर्वा अर्पित करते हुए पूजा करें. सत्यनारायणजी को पुष्प, पान-सुपारी, रोली, अक्षत, तुलसी, इत्र चढ़ाएं. प्रसाद में पंजीरी (घी, आटा, शक्कर एवं मेवा निर्मित) एवं पीला फल चढ़ाएं. हाथ में पुष्प लेकर श्रीहरि का ध्यान करें सत्यनारायणजी की कथा सुनें अथवा वाचन करें. अब हवन करें. ऐसा करने से सत्यनारायणजी की कृपा से बुरी शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करतीं. कथा के पश्चात सत्यनारायण की कपूर प्रज्वलित कर आरती उतारें, एवं प्रसाद का वितरण करें.

भगवान सत्यनारायण व्रत एवं कथा के लाभ

* जिस मनोकामना के साथ व्रत-कथा करते हैं वह अवश्य पूरी होती है.

* नौकरी व्यवसाय संबंधी कोई समस्या है तो इस कथा को पूरे विधान से श्रवण करने से रास्ते में आ रहे अवरोध दूर हो जाते हैं.

* इस कथा एवं व्रत से समस्त प्रकार के संकट दूर होते हैं.

* किन्हीं वजह से पुत्री के विवाह में अड़चन आ रही है तो वह दूर होती है, और श्रीहरि की कृपा से पुत्री को योग्य वर प्राप्त होता है.

* किसी तरह के रोग-व्याधि से पीड़ित हैं तो इस व्रत एवं कथा को करने से तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है.

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